Marital Rape Case Judgment: वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित किये जाने की मांग से संबंधित याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए जस्टिस राजीव शकधर और जस्टिस सी हरिशंकर ने अलग-अलग फैसला सुनाया है. जस्टिस राजीव शकधर का मानना है कि पत्नी की सहमति के बिना पति द्वारा यौन संबंध बनाना आपराधिक है, जबकि जस्टिस सी हरिशंकर ने इससे असहमति जतायी है.
कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को इस बात की इजाजत दी है कि वे इस मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं. इसलिए अब यह तय हो गया है कि वैवाहिक बलात्कार अपराध है या नहीं इसका निर्णय सुप्रीम कोर्ट में ही होगा.
आज जस्टिस राजीव शकधर और जस्टिस सी हरि शंकर की पीठ वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित करने की मांग वाली चार याचिकाओं पर अपना फैसला सुनायेगी. आईपीसी के सेक्शन 375 में वैवाहिक बलात्कार को अपराध नहीं माना जाता है, अगर पत्नी की उम्र 15 साल से अधिक हो. इसे इस तरह भी समझा जा सकता है कि सेक्शन 375 में जो अपवाद है वह वैवाहिक बलात्कार को अपराध की श्रेणी से बाहर करता है और यह आदेश देता है कि विवाह में एक पुरुष द्वारा अपनी पत्नी के साथ जबरन यौन संबंध बनाना बलात्कार नहीं है.
वैवाहिक बलात्कार के कई मामलों में कोर्ट ने यह माना है कि पति द्वारा पत्नी के साथ क्रूरता नहीं की जा सकती है. यह गलत है और पति को चाहिए कि वह पत्नी की इच्छा का सम्मान करे. कई मामलों में कोर्ट ने वैवाहिक बलात्कार को तलाक का उचित आधार माना है.
ज्ञात हो कि 2015 में आरआईटी फाउंडेशन ने वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित करने के लिए याचिका दाखिल की थी. वहीं 2017 में आल इंडिया डेमोक्रेटिक वूमेंस एसोसिएशन ने याचिका दाखिल की, 2017 में एक वैवाहिक बलात्कार सरवाइवर खुशबू ने भी याचिका दाखिल की और एक अन्य पीड़ित महिला ने भी वैवाहिक बलात्कार मामले में केस दाखिल किया था.
गौरतलब है कि वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित किये जाने के विरोध में भी कई पुरुष संगठनों ने कोर्ट के समक्ष याचिका दर्ज की और यह मांग की है कि वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित ना किया जाये, क्योंकि इसके दुरुपयोग की काफी संभावना है. इस मामले पर कई विशेषज्ञों की राय यह रही है कि अगर वैवाहिक बलात्कार को अपराध बनाया जायेगा तो परिवार नामक संस्था पर संकट उत्पन्न हो सकता है.
Posted By : Rajneesh Anand