Varanasi News: श्रृंगार गौरी-ज्ञानवापी केस में अधिवक्ता कमिश्नर बदलने के मामले पर पूरी तरह से सुनवाई न हो पाने की वजह से कोर्ट ने फैसला कल (11 मई) के लिए टाल दिया. वाराणसी के सिविल कोर्ट में सुनवाई के दौरान इस संबंध में वादी पक्ष के अधिवक्ताओं का कहना है कि मंगलवार यानी आज सुनवाई पूरी नहीं हो सकी. इसलिए इस केस की सुनवाई कल 11 मई को दोपहर 2 बजे से फिर से शुरू होगी. वादी पक्ष के अधिवक्ता सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने बताया कि प्रतिवादी पक्ष की ओर से बिना किसी तथ्य के सिर्फ हवाई बातें की गईं. इसको गंभीरता से लेते हुए कोर्ट ने जरूरत पड़ने पर स्वयं मौके पर जाकर कमीशन की कार्रवाई को पूर्ण कराने की भी बात कही है.
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अधिवक्ता दीपक सिंह ने बताया कि माननीय न्यायालय ने दोनो पक्षों की बात सुनी. उसके बाद एकबार फिर से सुनवाई के लिए 11 मई की तिथि निर्धारित की. इसके बाद कोर्ट अपना फैसला सुनाएगी. मुस्लिम पक्ष की तरफ से इस मामले को टालने का भरपूर प्रयास हो रहा है. वे चाह रहे हैं कि ये मामला लंबा खीचा जाए. यह पूरी तरह से स्पष्ट हो चुका है प्रतिवादी पक्ष के लोग तारीख पर तारीख लेकर इस मामले को टालना चाह रहे हैं. प्रतिवादी पक्ष ने अधिवक्ता कमिश्नर को बदलने की जो मांग उठाई है. वह बेबुनियाद है क्योंकि अभी तक कार्रवाई शुरू ही नहीं हुई तो फिर पक्षपात करने का आरोप कहां से लग गया? जब कमीशन की कार्रवाई हुई ही नहीं तो रिपोर्ट कहां से आ जाएगी. सुनवाई के दौरान आज हम लोगों ने न्यायालय की अवमानना की भी बात रखी है. सर्वे के दौरान जितनी भी बाधा प्रतिवादी पक्ष के द्वारा कराई गई उन सबकी रिकॉर्डिंग है. वे सबूत हैं हमारे पास, अधिवक्ता कमिश्नर ने भी अपना पक्ष रखा है. सर्वे होकर रहेगा इसके लिए कोर्ट कल फैसला करेगी.
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दूसरी तरफ वादी अधिवक्ता सुभाष नन्दन चतुर्वेदी ने कोर्ट की सुनवाई को लेकर बताया कि अधिवक्ता कमिश्नर बदलने को लेकर सुनवाई हुई. सभी ने अपना-अपना पक्ष रखा. मगर पूरी तरह से नहीं हो पाई. इसके लिए कोर्ट ने कल की तिथि 11 मई निर्धारित की है. पुनः सुनवाई के लिए कल फैसला होगा. इस पर जिला प्रशासन के ढुलमुल रवैये की वजह से भी सर्वे में व्यवधान उतपन्न हुआ. उन्होंने प्रतिवादी पक्ष के अवरोध करने के दौरान स्पष्ट रूप से निर्देश नहीं दिया कि अंदर जाने दिया जाए. इन्हें रोका न जाए. पूरी तरह से जिला प्रशासन ने सहयोग नहीं दिया है. प्रतिवादी पक्ष के लोग पूरी तरह से इसी फिराक में है कि अधिवक्ता कमिश्नर बदलकर कोई ऐसा आ जाये जो यह लिख दे कि मंदिर की जगह मस्जिद ही शुरू से रहा है. यहां कोई मंदिर कभी था ही नहीं. मुस्लिम पक्ष द्वारा कोई अभिलेख भी प्रस्तुत नहीं किया गया. केवल मौखिक बात कर रहे हैं. कल बुधवार 11 मई को 2 बजे से सुनवाई शुरू होगी. इसके बाद निर्णय लिया जाएगा.
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अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के अधिवक्ता अभयनाथ यादव ने कहा कि 6 मई को सर्वे की कार्रवाई शुरू हुई तब अधिवक्ता कमिश्नर ने कोर्ट के प्रतिनिधि के तौर पर कार्य न करके एक पक्ष के रूप में कार्रवाई शुरू की. इसका हमने विरोध किया. इसी पर आज 2 घंटे तक वकील कमिश्नर के बदलने पर सुनवाई हुई. दीवारों के खुरचने के सवाल पर प्रतिवादी अधिवक्ता ने कहा कि ऑर्डिनरी के लिए जाते वक्त यह साफ संदेश होता है कि जहां भी आप जांच के लिए जा रहे हैं, उसे बिल्कुल उसी रूप में आप देखें. यहां तक कि वहां की धूल तक भी साफ नहीं करनी है आपको. अब न्यायालय इस पर कल अपना फैसला सुनाएगी. हिंदू पक्ष के अधिवक्ता सुधीर त्रिपाठी ने कहा कि सुनवाई के दौरान खुद न्यायालय ने कहा कि यदि कमीशन की कार्रवाई के वक्त जरूरत महसूस की जाएगी तो मैं खुद चलकर इस कार्रवाई को पूरा करा दूंगा. यह अपने आपमें बड़ी बात हो गई है. ताला खोलने से लेकर बैरिकेडिंग के अंदर जाने तक के निर्णयों पर कोर्ट 11 मई को फैसला सुनाएगी.
रिपोर्ट : विपिन सिंह