Janaki Navami 2022: सेंटर फॉर स्टडीज़ ऑफ ट्रेडिशन एन्ड सिस्टमस् और इंदिरा गांधी नैशनल सेंटर फॉर आर्ट्स (आई.जी.एन.सी.ए.) की सहभागिता में 10 मई 2022 से 16 मई 2022 तक सप्त दिवसीय वैदेही अंतरराष्ट्रीय उत्सव आई.जी.एन.सी.ए. परिसर में आयोजित होने जा रहा है जिसमें विभिन्न देशों और भारत के विभिन्न प्रान्तों के कलाकारों द्वारा सीता के विभिन्न रूपों की प्रदर्शनी लगाई जाएगी, साथ ही पुराणों में वर्णित स्त्री सशक्तिकरण पर आधारित एक विशिष्ट फैशन-शो तथा शास्त्रीय मैथिली संगीत का भी कार्यक्रम होने की योजना है.
प्रदर्शनी में आने वाले दर्शक वहाँ लगे स्टॉलों पर मिथिला की विशिष्ट सामग्रियों की भी खरीदारी कर सकते हैं. इस कार्यक्रम के पश्चात कुछ चयनित चित्रों का एक कॉफी-टेबल बुक प्रकाशित किया जाएगा. इस प्रदर्शनी में मिथिला और मिथिला के बाहर से भी मिथिला चित्रकला के कलाकार इस कार्यक्रम में अत्यंत उत्साह के साथ जुड़ रहे हैं. देश-विदेश में बसे कलाकार वैदेही के जीवन के विभिन्न पहलुओं का वर्णन चित्र के माध्यम से करके विश्व के समक्ष ला रहे हैं.
कार्यक्रम में मिथिला चित्रकला पर अपना पूर्ण जीवन समर्पित करने वाले और देश-विदेश के विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित प्रसिद्ध कलाकारों की चित्रकलाओं का प्रदर्शन भी किया जाएगा. इस कार्यक्रम के अंतर्गत सीता वनवास नाटक का मंचन और एक बहुभाषीय कवि-सम्मेलन भी होगा. कार्यक्रम का आरंभ पारंपरिक वेद पाठ और जानकी वंदना से होगा. प्रदर्शनी के अंतिम दिन कलाकारों को प्रोत्साहन पुरस्कार, सांत्वना पुरस्कार, लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कारों से सम्मानित किया जाएगा.
जानकी नवमी के दिन स्नान करके गुलाबी रंग के कपड़े पहन लें. गुलाबी आसन पर उत्तर दिशा की ओर मुख करके अपने पूजा स्थल पर बैठे. शुद्ध भूमि पर सुन्दर मंडप बनायें. यह मंडप सौलह, आठ और चार स्तम्भों का होना चाहिए. मंडप के मध्य में एक चौकी और बाजोट पर एक गुलाबी वस्त्र को बिछा कर गुलाबी रंग में ही रंगे चावलों का अष्ट दल बना कर उस पर भगवान श्री राम और जानकी माता का मनमोहक चित्र तस्वीर की स्थापना करें.
पूजन के लिए स्वर्ण, रजत, ताम्र, पीतल, काठ एवं मिट्टी इनमें से सामर्थ्य अनुसार किसी एक वस्तु से बनी हुई भगवान श्री राम और मां सीता जी प्रतिमा की स्थापना करें. राजा जनक, माता सुनयना, हल और माता पृ्थ्वी कि भी प्रतिमाएं पूजा के लिए रखें. आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, पंचामृत स्नान, वस्त्र, आभूषण, गन्ध, सिन्दूर तथा धूप-दीप एवं नैवेद्य आदि उपचारों द्वारा श्रीराम-जानकी का पूजन करना चाहिए.
माता को लाल वस्त्र पहनाएं इसके बाद माता को फूल, माला चढ़ाएं, माता को सिन्दूर, अन्य श्रृंगार की वस्तुएं भी अर्पित करनी चाहिए. शुद्ध देशी घी का दीपक जलाएं. गुलाब के पुष्पों की माला अर्पण करें. गुलाब की धूप बत्ती जलाएं. साबूदाने की खीर का भोग लगाएं. जानकी स्तोत्र का पाठ करें. इस विशेष मंत्र से 1 माला जाप करें. आरती करें, पुष्पांजलि करें.
|| श्री जानकी रामाभ्यां नमः ॥