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Jharkhand News: झारखंड में सीएमपीडीआई ने खोजा कोयले का भंडार, पढ़िए पूरी डिटेल्स

Jharkhand News: सीएमपीडीआई ड्रिलिंग कर कोयले की गुणवत्ता और क्षमता पता कर रहा है. पता करने की कोशिश कर रहा है कि यहां कितनी दूरी तक कोयला निकाला जा सकता है. शुरुआती जांच में पता चला है कि यहां से करीब 40 वर्ग किमी पर कोयला भंडार हो सकता है. इसके लिए अलग-अलग स्थान पर ड्रिलिंग की जाती है.

Jharkhand News: सीएमपीडीआई ने झारखंड के चतरा जिले के देवनाड में कोल ब्लॉक खोजा है. यह मैक्लुस्कीगंज से तीन किमी की दूरी पर है. यहां सीएमपीडीआई ड्रिलिंग कर कोयले की गुणवत्ता और क्षमता पता कर रहा है. पता करने की कोशिश कर रहा है कि यहां कितनी दूरी तक कोयला निकाला जा सकता है. शुरुआती जांच में पता चला है कि यहां से करीब 40 वर्ग किमी पर कोयला भंडार हो सकता है. इसके लिए अलग-अलग स्थान पर ड्रिलिंग की जाती है. कोयले का वास्तविक उत्पादन शुरू होने से पहले कोल इंडिया लिमिटेड की सहायक कंपनी सीएमपीडीआइ भूवैज्ञानिक और परियोजना रिपोर्ट तैयार करती है. इसके लिए संसाधन और गुणवत्ता आकलन के लिए अन्वेषण का काम किया जाता है. यहां निकलने वाले नमूनों का परीक्षण कोर और नॉन-कोर के रूप में किया जाता है.

जीएसआइ करता है संभावना का आकलन

कैंप में मौजूद अधिकारियों ने बताया कि जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआइ) सबसे पहले इलाके में कोयले की संभावना की जानकारी देता है. सीएमपीडीआइ इसकी विस्तृत जानकारी जमा करता है. 400-400 मीटर की दूरी पर ड्रिलिंग की जाती है. वहां से कोयला और गैर कोयला निकाला जाता है. यह देखने की कोशिश होती है कि कितनी गहराई से कोयला मिल रहा है. कितनी गहराई तक कोयला है. कंपनी 300 मीटर तक ही ड्रिलिंग का काम करती है. इसके बाद कोयला भंडार निकालना बहुत मुश्किल होता है.

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लैब में होती है नमूनों की जांच

कोर ड्रिलिंग में प्राप्त नमूनों की विजुअल जांच होती है. कोयले की गुणवत्ता का पता लगाने और विश्लेषण के लिए सैंपल लैब में भेजा जाता है. कोयले के गुणों को जानने के लिए सीएमपीडीआई स्थित प्रयोगशाला में कोयले के नमूनों की जांच होती है. बोरहोल डाटा, कोयला गुणवत्ता डाटा और सर्वेक्षण डाटा के आधार पर जियोलॉजिकल रिपोर्ट (जीआर) तैयार की जाती है. जीआर में अनुमानित भंडार के साथ विभिन्न कोयला के सिम के कोयले की गुणवत्ता का उल्लेख किया जाता है.

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जीआर के बाद तैयार बनती है प्रोजेक्ट रिपोर्ट

जीआर तैयार होने के बाद प्रोजेक्ट रिपोर्ट (पीआर) तैयार की जाती है. इसमें खनन कैसे किया जायेगा? कितनी मशीनरी और जनशक्ति शामिल होगी? ओवरबर्डेन कहां डंप किया जायेगा, इसकी जानकारी ली जाती है. खनन में कितना समय लगेगा और चरणबद्ध खनन योजना व वित्तीय लाभ/हानि का भी उल्लेख किया जाता है. पीआर तैयार होने के बाद रिपोर्ट कोयला मंत्रालय को सौंप दी जाती है. यह कोयला मंत्रालय का काम है कि ब्लॉक का आवंटन किसे किया जाये. अगर कोल इंडिया के बियरिंग एरिया में खदान है, तो खनन का काम कोल इंडिया की अनुषंगी कंपनी कर सकती है.

रिपोर्ट : मनोज सिंह

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