नई दिल्ली : अंडरवर्ल्ड के कुख्यात अपराधी अब सलेम पर फैसला लेने के मामले में केंद्र सरकार ने गुरुवार को सु्प्रीम कोर्ट से कहा है कि न्यायपालिका इस केस में किसी भी फैसला लेने में स्वतंत्र है. उसने कहा कि अब सलेम के प्रत्यर्पण के मामले में भारत की ओर से दिए गए आश्वासन के मामले में न्यायपालिका पूरी तरह से स्वतंत्र है. उसने कहा कि यह न्यायपालिका पर निर्भर करता है कि वह अपने हिसाब से जो उचित हो, वह फैसला करे.
अब सलेम ने सजा को दी है चुनौती
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश की पीठ ने गैंगस्टर अबू सलेम की एक याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसमें 1993 के मुंबई विस्फोट मामले में उसने अपनी उम्रकैद को चुनौती दी है. सलेम ने इस आधार पर चुनौती दी है कि उसकी सजा 25 साल से अधिक नहीं हो सकती, क्योंकि सरकार उस आश्वासन से बंधी है, जो उसने पुर्तगाल सरकार को उसके प्रत्यर्पण के लिए दिया था.
अश्वासन से सरकार बंधी है, न कि न्यायपालिका
केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने कहा कि सरकार तत्कालीन उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी द्वारा पुर्तगाल सरकार को दिए गए आश्वासन से बंधी है और वह उचित समय पर इसका पालन करेगी. उन्होंने कहा कि राष्ट्र की ओर से दिया गया यह आश्वासन न्यायपालिका पर थोपा नहीं जा सकता. कार्यपालिका उचित स्तर पर इस पर कार्रवाई करेगी. हम इस संबंध में आश्वासन से बंधे हैं. न्यायपालिका स्वतंत्र है, वह कानून के अनुसार आगे बढ़ सकती है.
अदालत ने आश्वासन पर जाहिर की आशंका
पीठ ने नटराज से कहा कि सलेम का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील ऋषि मल्होत्रा की दलील यह है कि अदालत को गंभीर आश्वासन पर फैसला करना चाहिए और उसकी सजा को उम्रकैद से घटाकर 25 साल करना चाहिए या सरकार को निर्देश देना चाहिए कि वह प्रत्यर्पण के दौरान दिए गए गंभीर आश्वासन पर फैसला करे. सर्वोच्च अदालत ने कहा कि दूसरा मुद्दा एक समायोजित अवधि को लेकर है, क्योंकि दलील यह है कि उसे यहां की अदालत के आदेश पर जारी ‘रेड कॉर्नर नोटिस’ के बाद पुर्तगाल में गिरफ्तार किया गया था और वह भारत के लिए प्रत्यर्पण तक हिरासत में रहा.
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मुंबई सीरियल ब्लास्ट में मिला है आजीवन कारावास
नटराज ने कहा कि सलेम फर्जी पासपोर्ट से जुड़े एक अलग मामले में हिरासत में रहा था. विशेष टाडा अदालत ने 25 फरवरी, 2015 को 1995 में मुंबई के बिल्डर प्रदीप जैन की उनके ड्राइवर मेहंदी हसन के साथ हत्या के एक अन्य मामले में सलेम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. वर्ष 1993 के मुंबई बम धमाकों के दोषी सलेम को लंबी कानूनी लड़ाई के बाद 11 नवंबर, 2005 को पुर्तगाल से भारत प्रत्यर्पित किया गया था. जून 2017 में सलेम को दोषी ठहराया गया और बाद में मुंबई में 1993 के सीरियल विस्फोट मामले में उसकी भूमिका के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई.