21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

रिकॉर्ड जीएसटी संग्रहण

जीएसटी संग्रहण में निरंतर वृद्धि से स्पष्ट है कि मुद्रास्फीति के कारण बाजार में मांग में कमी के बावजूद कारोबारी गतिविधियां बढ़ रही हैं.

चालू वित्त वर्ष 2022-23 के पहले माह में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रहण 1.68 लाख करोड़ रुपये हुआ, जो जुलाई, 2017 में इस कराधान प्रणाली के लागू होने के बाद से सर्वाधिक मासिक संग्रहण है. यह आंकड़ा अप्रैल, 2021 की तुलना में 20 प्रतिशत तथा इस साल मार्च से लगभग 18 प्रतिशत अधिक है. पिछले साल के हिसाब से देखें, तो बीते अप्रैल में आयातित वस्तुओं से 30 प्रतिशत तथा घरेलू लेन-देन (इसमें आयातित सेवाएं भी शामिल हैं) से 17 प्रतिशत अधिक राजस्व हासिल हुआ है.

यह कराधान मार्च की बिक्री के आधार पर हुआ है. इसका एक अर्थ तो यह है कि मुद्रास्फीति के कारण मांग में कमी के बावजूद कारोबारी गतिविधियां बढ़ रही हैं. इससे दूसरा संकेत यह मिलता है कि कारोबारियों में कर देने की प्रवृत्ति बढ़ रही है. उल्लेखनीय है कि उचित कर संग्रहण के लिए अनेक कदम उठाये गये हैं, जैसे- लोगों को समय से कर देने के लिए प्रोत्साहित करना, कराधान प्रणाली को सरल व प्रभावी बनाना तथा समुचित कर न चुकानेवालों के विरुद्ध कार्रवाई करना.

इन प्रयासों में डाटा विश्लेषण और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल बड़ा कारगर साबित हुआ है. इस उपलब्धि पर टिप्पणी करते हुए केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यों के प्रयासों की सराहना करते हुए भरोसा जताया है कि सबकी साझा कोशिशों से देश की अर्थव्यवस्था लगातार बेहतरी की ओर बढ़ रही है. इसमें एक पहलू यह भी है कि अलग-अलग राज्यों में राजस्व संग्रहण में बड़ी असमानता है.

पिछले साल अप्रैल के मुकाबले इस साल अप्रैल में मणिपुर में 33 प्रतिशत और बिहार में दो प्रतिशत कम जीएसटी संग्रहण हुआ है, जबकि अरुणाचल प्रदेश में 90, उत्तराखंड में 33, नागालैंड में 32, ओड़िशा में 28 और महाराष्ट्र में 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. इनमें आयातित वस्तुओं से प्राप्त राजस्व शामिल नहीं है. ये आंकड़े सुधार के विषम परिणामों की ओर संकेत करते हैं. जो राज्य कम कर हासिल कर रहे हैं, उनके औद्योगिक एवं व्यावसायिक विकास पर अपेक्षाकृत अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है.

खबरों की मानें, तो केंद्र सरकार कुछ वस्तुओं पर लगनेवाले सेस (अधिकर) को जीएसटी में शामिल करने की योजना बना रही है ताकि राज्यों के राजस्व की कमी की भरपाई हो सके. ऐसा करना सराहनीय है, लेकिन आखिरकार राजस्व में बढ़ोतरी आर्थिक विकास से ही संभव हो सकता है.

यदि जीएसटी में लगातार बढ़ोतरी को बीते वित्त वर्ष के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों के संग्रहण के आंकड़ों के साथ रखकर देखें, तो एक उत्साहवर्द्धक तस्वीर उभरती है. वित्त वर्ष 2021-22 में प्रत्यक्ष करों में 49 और अप्रत्यक्ष करों में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी तथा कुल कर संग्रहण 27.07 लाख करोड़ रुपये का हुआ था. यह न केवल बजट अनुमानों से अधिक था, बल्कि 2020-21 की राजस्व प्राप्ति से 34 प्रतिशत अधिक था. स्पष्ट है कि घरेलू और वैश्विक चुनौतियों का सामना करते हुए भारतीय अर्थव्यवस्था प्रगति के पथ पर है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें