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रांची में आर्मी के कब्जेवाली जमीन को जालसाजी कर बेचा, कार्रवाई की मांग करने वाला ही निकला फर्जी

रांची के बरियातू रोड स्थित आर्मी के कब्जेवाली जमीन को जालसाजी कर बेच दी गयी. जबकि सरकार से इसकी जांच की मांग करने वाला ही फर्जी निकला है. जांच में ये बात सामने आयी कि इस जमीन को जगत बंधु टी स्टेट के नाम पर बेच दिया गया.

Jharkhand News, Ranchi Crime News रांची: बरियातू रोड स्थित आर्मी के कब्जेवाली 4.44 एकड़ जमीन जालसाजी कर बेच दी गयी. हैरानी की बात यह है कि इस जमीन की जांच की मांग करनेवाला प्रदीप बागची ही जालसाज निकला. उसने फर्जी दस्तावेज के आधार पर सेना के कब्जेवाली जमीन की खरीद-बिक्री का आरोप लगाते हुए सरकार से जांच का अनुरोध किया था. इसके बाद सरकार ने पूरे मामले की जांच करायी.

जांच में पता चला कि बागची ही जालसाज है. सेना के कब्जेवाली जमीन का अपने नाम पर होल्डिंग नंबर लेने के लिए उसने जिफुल्लाह वल्द हबीबुल्लाह के कंज्यूमर नंबर में तकनीक के इस्तेमाल से पता बदल कर रामेश्वरम बरियातू कर दिया था. साथ ही सेना के कब्जेवाली इस जमीन को जगत बंधु टी स्टेट के नाम पर बेच दिया.

जांच रिपोर्ट में खुली सच्चाई :

उप निदेशक कल्याण (दक्षिणी छोटानागपुर) ने सेना के कब्जेवाली जमीन की खरीद-बिक्री के आरोपों की जांच कर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि मोरहाबादी थाना नंबर 192, वार्ड नंबर 21, एमएस प्लॉट नंबर 557 (रकबा 4.44 एकड़), खतियान में प्रमोद नाथ दास गुप्ता का नाम दर्ज है.

खतियानी रैयत की मौत के बाद हिंदू उत्तराधिकारी अधिनियम के प्रावधानों के तहत यह जमीन मालती कर्नाड राव को मिली. उनकी मौत के बाद उनके पुत्र जयंत कर्नाड राव इस जमीन के उत्तराधिकारी हुए. यह जमीन 1943 से सेना के कब्जे में है. सेना द्वारा जमीन के खतियानी मालिक के उत्तराधिकारियों को 1960 तक 446 रुपये सालाना की दर से किराया दिया गया.

बाद में किराया बढ़ कर 3600 रुपये सालाना हो गया. 1970 में किराया बढ़ा कर 12000 रुपये सालाना करने की मांग की गयी. वर्ष 2007 में जमीन को सेना से मुक्त कराने के लिए हाइकोर्ट में याचिका (डब्ल्यूपीसी 1903/2007) दायर की गयी. अदालत ने सुनवाई के दौरान पहले चरण में 2008 तक किराया भुगतान का आदेश दिया. इसके बाद 11 मार्च 2009 को पारित आदेश में अदालत ने जमीन को जयंत कर्नाड के पक्ष में रिलीज करने का आदेश दिया.

इस आदेश के खिलाफ सेना ने 2009 में अपील (एलपीए 205/2009) दायर किया. इसके बाद आइए 7440/2017 और सीएमपी 282/2017 दायर किया. हालांकि फैसला जयंत कर्नाड के पक्ष में ही रहा. जयंत कर्नाड ने वर्ष 2019 में सेना के कब्जेवाली यह जमीन 13 लोगों को बेची. जमीन खरीदनेवालों ने म्यूटेशन के लिए आवेदन दिया. हालांकि खरीदारों को जमीन पर कब्जा नहीं मिलने के आधार पर सीओ ने म्यूटेशन आवेदन खारिज कर दिया.

कोलकाता में निबंधित सेल डीड को ही संदेहास्पद माना :

अप्रैल 2021 में इरबा निवासी प्रदीप बागची ने डीसी को आवेदन देकर सेना के कब्जेवाली इस जमीन को अपना बताया और फर्जी दस्तावेज के सहारे इसकी खरीद-बिक्री का आरोप लगाते हुए जांच की मांग की. बागची ने यह दावा किया कि मोरहाबादी स्थित यह जमीन 1932 में खतियानी रैयत से सेल डीड के आधार पर खरीदी गयी थी. जमीन की रजिस्ट्री कोलकाता में हुई थी. बागची ने नगर निगम से सेना के कब्जेवाली इस जमीन का होल्डिंग नंबर भी ले लिया.

जांच अधिकारी ने बागची के दावों की जांच करने के बाद रिपोर्ट में लिखा कि कोलकाता रजिस्ट्री कार्यालय में मौजूद सेल डीड में बागची द्वारा जमीन खरीदे जाने का उल्लेख है. नगर निगम से जुड़े दस्तावेज की जांच के दौरान पाया गया कि बागची ने होल्डिग नंबर लेने के लिए 2021 में आॅनलाइन आवेदन दिया. इसमें बिजली का कंज्यूमर नंबर 3389, आइडी नंबर 436915 बताया गया.

इसकी जांच में पाया गया कि यह कंज्यूमर नंबर बड़गाई निवासी जिफुल्ला का है. लेकिन बागची के नाम पर होल्डिंग नंबर लेने के लिए तकनीक का इस्तेमाल कर उसमें नाम, पता दर्ज कर रामेश्वर बरियातू कर दिया गया. होल्डिंग नंबर लेने के लिए बागची द्वारा की गयी इस जासलाजी के मद्देनजर जांच अधिकारी ने कोलकाता में निबंधित सेल डीड को ही संदेहास्पद करार दिया है. जांच में यह भी पाया गया कि होल्डिंग नंबर मिलने के बाद बागची ने सेना के कब्जेवाली यह जमीन अक्टूबर 2021 में जगत बंधु टी स्टेट के निदेशक दिलीप कुमार घोष से बेच दी.

Posted By: Sameer Oraon

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