Akshay Tritiya 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष के दूसरे महीने वैशाख के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीय के रूप में मनाया जाता है. इस तिथि को अक्षय तृतीया के अलावा आखा तीज भी कहा जाता है. इस तिथि का विशेष महत्व है, क्योंकि ये तिथि सालभर में आने वाले 4 अबूझ मुहूर्तों में से एक है. अक्षय तृतीया के अलावा देवउठनी एकादशी, वसंत पंचमी और भड़ली नवमी को भी अबूझ मुहूर्त माना जाता है. अक्षय तृतीया के दिन को शादी-विवाह समेत हर तरह के मांगलिक कार्यों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है.
अक्षय तृतीया तिथि पर सूर्य और चंद्र अपनी उच्च राशि में होते हैं. इसलिए इस दिन शादी, कारोबार की शुरूआत और गृह प्रवेश करने जैसे- मांगलिक काम करना बहुत शुभ माना जाता है. शादी के लिए जिन लोगों के ग्रह-नक्षत्रों का मिलान नहीं होता या मुहूर्त नहीं निकल पाता, उनको इस शुभ तिथि पर दोष नहीं लगता व निर्विघ्न विवाह कर सकते हैं.
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अक्षय तृतीया के दिन कई मुहूर्त रहते हैं. इस दिन विवाह का होना भी बड़ा महत्व रखता है. शास्त्रों के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन स्वयंसिद्ध मुहुर्त रहता है. शास्त्रों के अनुसार ही इस दिन बिना पंचाग देखे कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है जो निश्चित ही सफल होता है. हिन्दु धर्म में विवाह सात जन्मों को संबंध है. दो आत्माओं का मेल ही अग्नि के सात फेरे लेकर होता है. अक्षय तृतीया का दिन बड़ा शुभ रहता है और इस दिन जो भी कार्य किया जाए वह अवश्य सफल रहता है. इसिलए अधिकांश शादियां अक्षय तृतीया के दिन ही होती है. ताकी महिला एवं पुरूष जीवन में विवाह के बाद बिना किसी रूकावट के अपार सफतला प्राप्त कर सकें एवं हंसी खुशी अपना जीवन बिता सके. साथ ही यह भी मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन अपने अच्छे आचरण और सद्गुणों से दूसरों का आशीर्वाद लेना अक्षयफल देता है.
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अक्षय तृतीया के दिन ऐसे विवाह भी मान्य होते हैं, जिनका मुहूर्त साल भर नहीं निकल पाता है. दूसरे शब्दों में ग्रहों की दशा के चलते अगर किसी व्यक्ति के विवाह का दिन नहीं निकल पा रहा है, तो अक्षय तृतीया के दिन बिना लग्न व मुहूर्त के विवाह होने से उसका दांपत्य जीवन सफल हो जाता है. यही कारण है कि राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, बंगाल आदि में आज भी अक्षय तृतीया के दिन हजारों की संख्या में विवाह होते हैं.