मुजफ्फरपुर जिले की पंचायतों में बच्चे चमकी बुखार से पीड़ित न हों, इसके लिए स्वास्थ्य विभाग घर-घर दवा बांट रहा है. वहीं ओपीडी में आने वाले बुखार से पीड़ित बच्चों को दवा के साथ ओआरएस के पैकेट और बचाव की जानकारी दी जा रही है. इधर, एइएस के अबतक 24 मामले सामने आने के बाद जिले के एइएस प्रभावित पांच प्रखंडों में अलर्ट जारी कर दिया गया है. कांटी, मीनापुर, मुशहरी, बोचहां, पारू और मोतीपुर के पीएचसी प्रभारियों को बढ़ रहे तापमान को देखते हुए अलर्ट रहने को कहा गया है.
प्रभारी सिविल सर्जन डॉ सुभाष कुमार ने प्रखंडों में डॉक्टरों की टीम को कैंप करने को कहा है. डॉक्टरों की टीम में एक एमबीबीएस डॉक्टर, दो आयुष डॉक्टर व एएनएम होंगे. डॉक्टरों की टीम बच्चों की स्वास्थ्य जांच के साथ-साथ घर-घर जाकर बच्चों का कैसे ख्याल रखा जाये, इसकी जानकारी देगी. इसके अलावा आशा व एएनएम घर-घर जाकर ओआरएस का पैकेट दे रही हैं. अगर किसी बच्चे में बुखार या चमकी बुखार के लक्षण मिलता है, तो प्रथम चरण में डॉक्टरों की टीम उनका इलाज करेगी. सीएस ने कहा कि एइएस से सबसे अधिक बच्चे कांटी, मीनापुर, बोचहां, पारू और मोतीपुर में पीड़ित हो रहे हैं. सीएस ने कहा कि इन प्रखंडों में अगर जागरूकता के साथ-साथ डॉक्टरों की टीम प्रथम स्टेज में बच्चों की देखरेख करे, तो बीमारी पर अंकुश लगाया जा सकता है.
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मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से पीड़ित हुए बच्चे अगर निजी अस्पताल व नर्सिंग होम में भर्ती होते है तो अस्पताल संचालक को स्वास्थ्य विभाग को सूचना देनी होगी. अगर बिना सूचना के इलाज करते है और बच्चे की मौत होती है तो विभाग अस्पताल पर कार्रवाई करेगी. सिविल सर्जन सुभाष कुमार ने इसे लेकर सभी अस्पतालों को दिशा निर्देश जारी किया हैं. उन्होंने कहा कि अभी बच्चे चमकी बुखार से पीड़ित हो रहे हैं. ऐसे में परिजन निजी अस्पतालों में भी भर्ती कराते है. ऐसे में अगर बच्चों के भर्ती होने की सूचना अस्पताल देते है उस बच्चे का एइएस की जांच करायी जायेगी. अगर पुष्टि होती है तो उसे पीकू में भर्ती कर एइएस प्रोटोकॉल के तहत इलाज किया जायेगा. इससे बच्चों की गंभीर होने की सूचना नहीं होगी. उन्होंने कहा कि अभी तक समय पर जिनका इलाज हुआ है वह बच्चे स्वस्थ होकर घर लौट गये हैं.