वाराणसी के घाटों में बहुप्रतीक्षित खिड़कियां घाट काशी के सांसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है, जो कि अब बनकर तैयार है. नमो खिड़कियां घाट की खूबसूरती देखते ही बनती है. अभी यहां 75 फीट ऊंचा मेटल का एक और नमस्ते का स्कल्पचर लगेगा. इसके बाद इसकी अलग ही सौंदर्यता देखने को मिलेगी. संभावना व्यक्त की जा रही हैं कि पीएम मोदी अपने इस अंतरराष्ट्रीय स्तर के पर्यटन ड्रीम प्रोजेक्ट का उद्घाटन कर सकते हैं.
काशी की प्राचीनता को संजोए हुए आधुनिकता के साथ तालमेल मिलाकर चलती वाराणसी नगरी के घाटों की श्रृंखला में एक और पक्का घाट नमो (खिड़कियां) घाट जुड़ गया है. आठ किमी लंबे गंगा के तट पर अलग-अलग संस्कृति से परिचित कराते घाटों के बाद अब आध्यत्मिक पहचान के तौर पर नमो घाट सभी घाटों में एकमात्र ऐसा घाट है, जो सड़क, जल और वायु मार्ग से जुड़ा है. पूरी तरह से भारतीय सांस्कृतिक और आध्यात्मिक जीवन शैली की पहचान के तौर पर पहचान रखने वाले सूर्य नमस्कार को समर्पित इस घाट को अब बस इंतजार है पीएम मोदी के हाथों लोकार्पित होने का.
पीएम मोदी ने 2019 में दो बड़े प्रोजेक्ट वाराणसी में शुरू किए थे. दोनों ही योजनाएं एक दूसरे से जुड़ी हुई थी. पहली योजना थी काशी विश्वनाथ धाम का निर्माण. 2019 में ही एक ऐसे घाट के निर्माण की नींव उन्होंने रखी, जो देश विदेश के पर्यटकों को शहर के जाम में फंसने से बचा सके. इसी घाट के सपने के रूप में साकार होने जा रहा है- खिड़कियां नमो घाट.
घाट पर एक मल्टीपर्पज प्लेटफॉर्म भी है, जहां एक से ज्यादा हेलिकॉप्टर सीधा लैंड कर सकते हैं. घाट पर उतरने के बाद पर्यटक सीधा जलमार्ग से बिना ट्रैफिक में फंसे बाबा विश्वनाथ के धाम में दर्शन करने जा सकेंगे. इतना ही नहीं, ये एक मात्र ऐसा घाट है, जो पूरी तरह से दिव्यांगों के लिए समर्पित है. इस घाट पर सड़क से व्हीलचेयर से दिव्यांगजन सीधा मां गंगा के पास तक पहुंच सकते हैं और आचमन कर सकते हैं.
सूर्य का अभिवादन करता हुआ स्कल्पचर खिड़कियां घाट की नई पहचान बनता जा रहा है. मां गंगा को प्रणाम करता हुआ तीन साइज का ये स्कल्पचर है, जिसमें बड़े स्कल्पचर की ऊंचाई करीब 25 फीट और छोटे की 15 फिट है. यह इंस्टालेशन लोगों के आकर्षण का केंद्र बन गया है. एक और करीब 75 फीट ऊंचा मेटल का नमस्ते करता हुआ स्कल्पचर घाट पर लगाने का प्रस्ताव है. करीब 21 हजार वर्ग मीटर में बने इस घाट की लागत 34 करोड़ है, जो लगभग आधा किमी लंबा है. इसका पहला फेज बन कर पूरी तरह से तैयार है. इसके निर्माण में मेक इन इंडिया और वोकल फॉर लोकल का भी समावेश दिखेगा. यहां पर्यटक सुबह-ए-बनारस की आरती, वाटर एडवेंचर, योगा, और संध्या की गंगा आरती भी होगी.
इस घाट पर गेल इंडिया की तरफ से एक फ्लोटिंग सीएनजी स्टेशन भी लगाया गया है. यहां से क्रूज के जरिए वाराणसी और आसपास के शहरों में भी लोग जा सकेंगे. इंजीनियर इंडिया लिमिटेड के प्रबंधक दुर्गेश ने बताया कि घाट के निर्माण में जिस सामग्री का इस्तेमाल किया गया है, उससे बाढ़ में घाट सुरक्षित रहेगा. उन्होंने कहा कि देखने में खिड़कियां घाट पुराने घाटों की तरह है, यहां तक गाड़ियां जा सकती हैं और घाट पर ही वाहन के लिए पार्किंग की व्यवस्था है.
फोटो रिपोर्ट- विपिन सिंह