गया जिले में पिछले सात वर्षों में यह तीसरी बार अप्रैल महीने में गया का तापमान 44 डिग्री के पार चला गया. शुक्रवार को गया का अधिकतम तापमान 44.1 व न्यूनतम 25.1 डिग्री सेल्सियस रहा. मौसम विभाग के मुताबिक हीट वेव भी चली. इससे पहले 30 अप्रैल 2019 में 44.3 डिग्री सेलसियस, 19 अप्रैल 2016 में 44.2 डिग्री व 30 अप्रैल 1999 में अप्रैल महीने में अब तक का सबसे अधिक अधिकतम पारा 46.1 डिग्री सेल्सियस हो गया था. गुरुवार को अधिकतम तापमान 41.9 डिग्री, न्यूनतम 23.1 डिग्री सेल्सियस, बुधवार को अधिकतम 43.5 डिग्री व न्यूनतम 23.8 डिग्री सेल्सियस रहा था. सुबह से ही शरीर को झुलसा देने वाली चिलचिलाती धूप, लू व तपिश से लोग परेशान दिखे.
हीट वेव ऐसी कि घर या दफ्तर से बाहर निकलने से लोग परहेज जता रहे थे. जो लोग बाहर निकल भी रहे थे. वह पूरी सावधानी से मुंह व चेहरे पर गमछा, तौलिया या फिर छाता लेकर निकले थे. अक्सर लोग कड़ी धूप व लहर से बचने के लिए पैदल चलने के बजाये निजी वाहन, ऑटो, इ-रिक्शा या फिर रिक्शा की सेवा ले रहे थे. दोपहर में सड़कों पर या फिर व्यावसायिक मंडी में भी कम ही लोगों की आवाजाही रही. मौसम विभाग ने पूर्वानुमान में बताया है कि शनिवार को आसमान में छिटपुट बादल छाये रहने के साथ रविवार, सोमवार को भी आसमान में हल्की बदली छाने के साथ छिटपुट बारिश भी हो सकती है. इसी के तापमान भी लुढ़क सकता है.
बोधगया. अप्रैल में ही प्रचंड गर्मी के बीच बोधगया में इन दिनों दक्षिण भारतीय श्रद्धालुओं ने रौनक बढ़ा दी है. तामिलनाडु, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, ओड़िशा व पश्चिम बंगाल के श्रद्धालुओं की आवाजाही के कारण महाबोधि मंदिर तो गुलजार रह ही रहा है, अन्य मंदिरों के आसपास भी चहल-पहल बढ़ गयी है. मुख्य रूप से मंदिरों के आसपास रहे फुटपाथी दुकानों व ठेले पर नारियल पानी व आइसक्रीम आदि की बिक्री करने वाले दुकानदारों को आमदनी हो रही है. पिछले दो वर्षों से कोरोना के कारण घर बैठे बोधगया के फुटपाथी दुकानदारों को इस गर्मी में भी राहत मिल रही है.
Also Read: Bihar Weather: भागलपुर में आंधी और बारिश, फारबिसगंज में पेड़ गिरने से महिला की मौत, दो लोग घायल
यहां के ऑटो व ई-रिक्शा चालकों को भी रोजगार मिला हुआ है और इस कारण उनकी स्थिति भी अब सुधरने लगी है. हालांकि, दक्षिण भारतीय व पश्चिम बंगाल के श्रद्धालु विष्णुपद मंदिर में भी पूजा-अर्चना कर रहे हैं व पिंडदान की प्रक्रिया भी पूरी कर ले रहे हैं. साथ ही बोधगया पहुंच कर अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए भगवान बुद्ध से भी कामना करना नहीं भूल रहे हैं. अमूमन गर्मी बढ़ने के साथ ही बोधगया में सन्नाटा पसर जाता था, पर इस वर्ष प्रचंड गर्मी के बाद भी श्रद्धालुओं व सैलानियों की आवाजाही अच्छे संकेत हैं. कई दुकानदारों ने बताया कि यात्रियों के आने से उनकी आर्थिक समस्या का समाधान होने लगा है.