हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है. इस मुद्दे पर इनदिनों साउथ और हिंदी फिल्म इंडस्ट्री बंटी नज़र आ रही है. अपनी फिल्म धाकड़ के ट्रेलर लॉन्च पर कंगना रनौत ने इस मुद्दे पर अपनी राय रखते हुए कहती हैं कि अजय जी सही हैं कि हिंदी राष्ट्रभाषा है और किच्चा सुदीप भी सही हैं कि कन्नड़,तमिल भाषा हिंदी से पुरानी है. इस बात को कहने के साथ साथ मैं ये भी कहूंगी कि सभी भाषाओं की जननी संस्कृत है. तमिल और कन्नड़ भी उसी से आए हैं तो संस्कृत को ही राष्ट्रभाषा बनाना चाहिए.
कंगना ने कहा, मुझे समझ नहीं आता कि क्यों अब तक ऐसा नहीं हुआ है. क्यों हमारे स्कूलों में संस्कृत नहीं पढ़ाई जा रही है. कंगना आगे कहती हैं कि जो साउथ वाले अपने कल्चर और भाषा में प्राउड करते हैं. वो सभी का जन्मसिद्ध अधिकार है लेकिन पूरे देश को जोड़ने के लिए एक धागा तो चाहिए. वो हिंदी है. आप हिंदी को नकारते हैं तो सिर्फ हिंदी को नहीं नकारते बल्कि सेंट्रल गवर्मेंट को नकार रहे हैं. खालिस्तान के अलावा तमिल और बंगाल राज्य की भी अलग मांग आयी है जो भाषा से ही शुरू हुई थी. इस चीज़ के बहुत लेयर्स हैं. हमें ये भी समझना होगा.
धाकड़ का ट्रेलर एक मिशन पर एजेंट अग्नि का राज खोलता है. रात में शूट किए गए एक स्लीक एक्शन सीन में क्या होता है. कंगना बंदूकें चलाती हैं, कुछ मुक्के मारती हैं और खलनायकों को नीचा दिखाती हैं. फिर उसे एक नया काम और एक नया खलनायक सौंपा जाता है – अर्जुन रामपाल द्वारा निभाई गई एक माइनिंग माफिया. विग, मेकअप और अपने घातक युद्ध कौशल के साथ, अग्नि पुरुषों और यहां तक कि कुछ सुनहरे बालों वाली महिलाओं को भी टक्कर देती है.
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रिपोर्ट्स में कहा गया है कि कंगना फिल्म में सात अलग-अलग लुक में होंगी और अपने सभी स्टंट और एक्शन सीक्वेंस भी करती नजर आएंगी. पिछले साल एक सोशल मीडिया पोस्ट में, कंगना ने दावा किया था कि फिल्म में एक ही एक्शन सीक्वेंस है, जिसकी लागत 25 करोड़ रुपये है. अपने पहले एक इंटरव्यू में कंगना रनौत ने इस बारे में बात की थी कि किस तरह से उन्होंने कहानी और एक्शन के मामले में फिल्म को अंतरराष्ट्रीय मानकों का बनाने का इरादा किया है.