पटना. राज्य में प्रशासनिक व्यवस्था की कमान संभालने में मुख्य भूमिका निभाने वाले आइएएस अधिकारियों की काफी कमी है. बिहार कैडर में आइएएस अधिकारियों के स्वीकृत पदों की संख्या 359 है, जिसमें अभी 205 अधिकारी ही हैं. यानी 154 पद सीधे तौर पर खाली पड़े हैं. 205 अधिकारियों में 33 केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चल रहे हैं. इससे वास्तव में सूबे में 172 आइएएस अधिकारियों की ही तैनाती है. इसमें मई के अंत तक एक आइएएस राजस्व पर्षद के अध्यक्ष संजीव कुमार सिन्हा रिटायर्ड हो रहे हैं, जिससे अधिकारियों की संख्या घट कर 171 हो जायेगी. अधिकारियों की इस कमी के कारण ही वर्तमान में 15 अधिकारियों के पास दो या तीन इससे अधिक विभागों का अतिरिक्त प्रभार है.
चार प्रमंडलों के आयुक्त भी अतिरिक्त प्रभार में चल रहे हैं. सिर्फ दो विभाग या निगम के प्रभार की बात करें, तो दो दर्जन से अधिक अधिकारियों के पास अतिरिक्त प्रभार है. राज्य में बिहार प्रशासनिक सेवा से आइएएस कैडर में प्रोन्नति के 101 पद स्वीकृत हैं, जिसमें 80 फीसदी पद खाली पड़े हुए हैं. वर्तमान में अधिकारियों के कमी की मुख्य वजहों में बीच में यानी 1998, 1999, 2000 और 2001 के दशक में एक-दो या तीन की संख्या में ही केंद्र से आइएएस बिहार को मिले. हालांकि, बाद के वर्षों या पिछले दो-तीन वर्षों में 10 से 12 की संख्या में आइएएस अधिकारी बिहार को मिले हैं. इससे आने वाले कुछ वर्षों में जब ये अधिकारी थोड़े सीनियर स्तर पर आ जायेंगे, तो स्थिति थोड़ी अच्छी हो जायेगी.
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राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव (एसीएस) ब्रजेश कुमार मेहरोत्रा, शिक्षा एसीएस संजय कुमार, गृह विभाग के एसीएस चैतन्य प्रसाद, स्वास्थ्य विभाग के एसीएस प्रत्यय अमृत, खनन विभाग की एसीएस हरजोत कौर, नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव आनंद किशोर, श्रम संसाधन विभाग के प्रधान सचिव अरविंद कुमार चौधरी, ग्रामीण विभाग के सचिव बालामुरुगन डी, आइटी प्रधान सचिव संतोष कुमार मल्ल, ऊर्जा प्रधान सचिव संजीव हंस, योजना एवं विकास विभाग के सचिव विनय कुमार, जल संसाधन विभाग के सचिव संजय कुमार अग्रवाल, वाणिज्य कर विभाग की सचिव डॉ प्रतिमा, भवन निर्माण विभाग के सचिव कुमार रवि, एससी-एसटी कल्याण विभाग के सचिव दिवेश सेहरा शामिल हैं.