कोर्ट कचहरी से अच्छा है कि बैठकर मामला आपस में सुलझा लो, अक्सर बड़े बुजुर्गों को यह सलाह देते हममें से कई लोगों ने सुना होगा. ज एक ऐसी ही कहानी हम आपको सामने रख रहे हैं जिसका फैसला आने में 27 साल से ज्यादा लगे.
117 बार तारीख पड़़ी और जब फैसला सुनाया गया तो सिर्फ फटकार लगी. इस सलाह के पीछे होता है उनका अनुभव. कोर्ट में 27 साल तक चला केस 117 बार पड़ा डेट और फैसले में लगी फटकार. इस कोर्ट केस की पूरी कहानी सुनने के बाद आप भी यही सलाह देंगे.
मामला बिहार के गोपालपुर थाने के डुमरिया गांव के शिव नारायण महतो 21 मार्च, 1995 को अपने खेत में काम करने गये थे. उनकी पत्नी छठिया देवी नाद पर मिट्टी लगा रही थी. उसी दीन एक गैरमजरूआ जमीन के मामले में कुछ लोगों ने छठिया देवी पर हमला कर दिया. उसी समय शिवनारायण भी पहुंच गये और पत्नी बचाने लगे.
हमलावरों ने शिवनारायण महतो की भी पिटाई कर दी. इस मामले में पीड़ित की तहरीर पर गोपालुपर थाने में केस दर्ज कराया गया. पुलिस ने 21 अगस्त को अपनी जांच पूरी कर 14 आरोपितों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी. पुलिस ने आरोपितों को गिरफ्तार कर जेल भेजा. जमानत पर एक-एक कर आरोपित बाहर निकले. कोर्ट ने 26 मार्च, 1996 को संज्ञान लिया. 19 मार्च, 1998 को कोर्ट ने धारा 147, 148, 149, 323, 324, 447 के अंतर्गत आरोप का गठन किया. उसके बाद कांड का ट्रायल शुरू हो गया. सुनवाई शुरू हुई. सुनवाई के लिए 117 डेट बड़े. आठ गवाहों ने साक्ष्य दिया. इस बीच छह कोर्ट बदले गये. सुनवाई के दौरान दो आरोपितों की मौत भी हो गयी.