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International Dance Day 2022: डांस में करियर का चांस, झारखंड में है गजब का क्रेज

International Dance Day 2022: झारखंड में डांस का गजब का क्रेज है. तीन साल के बच्चों से लेकर 40 साल तक के लोग डांस का प्रशिक्षण लेते हैं. रांची के कई युवाओं ने रियलिटी शो में किस्मत आजमा कर अपनी पहचान भी बनायी है और आज वे बॉलिवुड में बतौर कोरियोग्राफर खुद को स्थापित भी कर चुके हैं.

International Dance Day 2022: बदलते समय के साथ डांस केवल मनोरंजन का साधन भर नहीं रह गया है, बल्कि इस क्षेत्र में फुल टाइम करियर भी बना रहे हैं. विभिन्न टीवी चैनलों में आयोजित किये जानेवाले डांस रियलिटी शो कला की इस विधा को नयी ऊंचाइयों पर ले गये हैं. राजधानी के कई युवाओं ने इन रियलिटी शो में किस्मत आजमा कर अपनी पहचान भी बनायी है और आज वे बॉलिवुड में बतौर कोरियोग्राफर खुद को स्थापित भी कर चुके हैं. इसके अलावा नृत्य की विभिन्न विधाओं में महारत हासिल कर युवा स्कूल-कॉलेज में डांस टीचर और जुम्बा ट्रेनर भी बन सकते हैं.

राजधानी में 100 से ज्यादा डांस इंस्टीट्यूट हैं, जहां तीन साल के बच्चों से लेकर 40 साल तक के लोग डांस का प्रशिक्षण लेते हैं. इन संस्थानों में तीन से छह माह के सर्टिफिकेट कोर्स और छह माह से एक साल तक के डिप्लोमा कोर्स कराये जाते हैं. इन संस्थानों में न केवल राजधानी बल्कि राज्य के विभिन्न जिलों से आये युवा बॉलीवुड स्टाइल और क्लासिकल के अलावा वेस्टर्न, लॉकिंग-पाॅपिंग, हिपहॉप, वैकिंग, हाउस, ओल्ड स्कूल, न्यू स्कूल, कंटेंपररी जैसे कई डांस स्टाइल का प्रशिक्षण ले रहे हैं. इसके अलावा रांची विवि में डिप्लोमा इन परफार्मिंग आर्ट्स, बैचलर इन परफार्मिंग आर्ट्स जैसे कोर्स भी संचालित होता है. वर्ष 2017 से यहां नृत्य का दो साल का डिग्री कोर्स भी चल रहा है.

शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाता है डांस

नृत्य करना न सिर्फ भाव-भंगिमाओं का प्रदर्शन करना है, बल्कि यह एक व्यायाम भी है. नृत्य प्रशिक्षकों की मानें, तो नियमित रूप से डांस करनेवाला व्यक्ति शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से स्वस्थ रहता है. किसी भी विषय पर फोकस करने में मदद मिलती है. बढ़ते वजन की समस्या भी डांस से दूर हो सकती है. मौजूदा दौर में फिटनेस ट्रेनर भी लोगों को फिट रखने के लिए जुम्बा क्लासेस चलाते हैं.

रांची को इन पर नाज है

अलीशा राज

रांची की अलीशा डांस के क्षेत्र में जाना-पहचाना नाम हैं. उन्होंने वर्ष 2003 में पहली बार बूगी-वूगी किड्स चैंपियनशिप जीता. इसके अलावा 2006 में बूगी-वूगी के ‘उस्तादों के उस्ताद’ और 2007 में ग्रैंड टाइटल अपने नाम किया. डीआइडी सीजन-1 की फर्स्ट रनरअप भी रहीं. वे कई टीवी शो का हिस्सा रही हैं. वहीं कई अभिनेताओं के साथ स्टेज परफॉमेंस भी दे चुकी हैं. फिलहाल अलीशा बॉलीवुड और पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री में बतौर कोरियोग्राफर काम कर रही हैं. साथ ही सोशल मीडिया पर डांसिंग कॉन्टेंट बनाती हैं.

आर्यन पात्रा

आर्यन पात्रा पांच साल की उम्र से डांस का प्रशिक्षण ले रहे थे. डीआइडी लिटिल मास्टर सीजन-1 में टॉप 30 में अपनी जगह बनायी. बूगी-वूगी में फाइनलिस्ट, सो यू थिंक यू कैन डांस इंडिया में फाइलिस्ट और झलक दिखला जा सीजन-9 के विजेता रहे. इसके अलावा कई डांस रियालिटी शो में अपने डांस का जलवा बिखेरा. सुपर डांसर चैप्टर-3 व 4 में बतौर कोरियाग्राफर अपना करियर शुरू किया. इंडियाज बेस्ट डांसर सीजन-2 में कोरियोग्राफी में फाइनलिस्ट रहे. जल्द ही वे नये शो में कोरियाग्राफी करते दिखेंगे.

वीरेन राज बड़ाइक

हरमू निवासी वीरेन राज बड़ाइक वर्ष 2009 में बूगी-वूगी के विजेता रह चुके हैं. वह तीन साल तक चैंपियन रहे. फिलहाल वे रांची में 35 बच्चों को डांस का प्रशिक्षण देते हैं. साथ ही खुद भी डांस रियलिटी शो की तैयारी कर रहे हैं. वीरेन ने चार साल की उम्र में डांस की ट्रेनिंग लेनी शुरू की. इसके बाद कई शो किये. छह साल मुंबई में रहने के बाद आर्थिक परेशानी के कारण मुंबई छोड़ दिया. वीरेन कहते हैं कि झारखंड में डांस टैलेंट की कमी नहीं है, पर बैक सपोर्ट या आर्थिक परेशानी के कारण यहां से लोग आगे नहीं बढ़ पाते हैं.

अमन राज

धुर्वा निवासी पांचवीं कक्षा के छात्र अमन कुमार राज वर्ष 2021 में टेलीविजन पर अपने डांस का जलवा बिखेर चुके हैं. पिछले साल डांस दिवाने में उन्हें छोटा चीची के नाम से जाना जाता था. वे टॉप छह फाइनलिस्ट तक पहुंचे थे. वे कहते हैं कि डांस ने मेरा नया सफर शुरू किया. साढ़े चार साल की उम्र से डेजल डांस एकेडमी में प्रशिक्षण ले रहे हैं. गुरु आकाश ने डांस का एक वीडियो बनाया और सोशल मीडिया पर शेयर किया. जिसके कारण डांस दीवाने में माधुरी दीक्षित ने शो में ऑडिशन के लिए बुलाया.

सौम्या

सौम्या डांस रियालिटी शो बूगी-वूगी-2010 में फर्स्ट रनरअप और 2012 में डीआइटी लिटिल मास्टर के टॉप फोर तक पहुंची थीं. डांस रियलिटी शो में पहचान मिलने के बाद वह इंडोनेशिया, इजराइल, साउथ अफ्रीका में स्टेज शो करती रहीं. इसके बाद उन्होंने अपनी पढ़ाई पर फोकस किया और डांस शो करना बंद कर दिया. रांची लौट कर उन्होंने 12वीं की पढ़ाई पूरी की. फिलहाल वह अमिटी विवि से बीबीए कर रही हैं. साथ ही अपने डांस की प्रैक्टिस को भी जारी रखा है, ताकि रियालिटी शो में कम बैक कर सकें.

झारंखड के प्रमुख लोक नृत्य

झारंखड में अलग-अलग समुदायों के अलग-अलग नृत्य हैं. सबसे ज्यादा प्रचलित झूमर, पाइका, छऊ, फगुआ, जतरा, अंगनाई, मुंडारी, कठोरवा, मागे बा, सोहराई,टूसू, रास जैसे कई लोक नृत्य हैं, जो मौसम व पर्व त्योहार के अवसर पर महिला-पुरुष मिल कर करते हैं.

इन गुरुओं को सलाम

नृत्य सीखने की कोई उम्र नहीं होती है. इसके लिए लगन और मेहनत के साथ निरंतरता की जरूरत होती है. 25 वर्षों से भरनो करसा (कलश) नृत्य का प्रशिक्षण दे रही हूं. उरांव समुदाय के लोग शुभ अवसरों पर यह नृत्य करते हैं. इसके अलावा बेंजा, सरहूल, कर्मा झूमर व नागपुरी नृत्य में अंगनाई, डमकच, लहसुआ जैसे नृत्य का प्रशिक्षण नि:शुल्क देती हूं.

– सुषमा नाग, फोकस डांस गुरु

पिछले 20 वर्षों से छऊ नृत्य का प्रशिक्षण दे रहा हूं. कला संस्कृति विभाग द्वारा सिल्ली, दुमका और सरायकेला में प्रशिक्षण की व्यवस्था की गयी है. सिल्ली में 25 बच्चे इस नृत्य शैली की ट्रेनिंग ले रहे हैं. करीब दो साल के इस डांस कोर्स में लिखित और मौखिक रूप से प्रशिक्षण दिया जाता है. यहां से बच्चे प्रशिक्षण लेकर विभिन्न राज्यों में छऊ नृत्य का प्रशिक्षण देते हैं.

– गंभीर चंद्र महतो, छऊ नृत्य गुरु

कथक ऐसी शैली है, जिसे देश-विदेश में भी काफी पसंद किया जाता है. शास्त्रीय नृत्य शैली के प्रशिक्षण के लिए रांची विवि में डिग्री कोर्स भी चल रहा है. यह काफी प्रचलित नृत्य शैली है. इसके तीन घराने हैं, लखनऊ घराना, जयपुर घराना और बनारस घराना. इंस्टीट्यूट में 150 और कॉलेज में 20 विद्यार्थियों को कथक नृत्य का प्रशिक्षण दे रहा हूं.

– विपुल नायक, कथक गुरु

मैंने ढाई साल की उम्र से कथक का प्रशिक्षण लेना शुरू किया था. अब पांच साल के बच्चों से लेकर 67 उम्र तक की महिलाओं को कथक नृत्य का प्रशिक्षण दे रही हूं. 55 से अधिक वर्ष की महिलाओं को सहज कथ का प्रशिक्षण देती हूं, जिसमें कथक शैली के आसान स्टेप सिखाये जाते हैं. कथक 18 साल का बेसिक कोर्स है, जिसके बाद डिग्री मिलती है.

– सी सालीना, कथक गुरु

इसलिए मनाते हैं इंटरनेशनल डांस डे

आधुनिक बैले डांस के निर्माता जीन-जॉर्जेस नोवरे (1727-1810) की जयंती पर हर वर्ष 29 अप्रैल को पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस (इंटरनेशनल डांस डे) मनाया जाता है. अंतरराष्ट्रीय रंगमंच संस्थान (आइटीआइ) ने वर्ष 1982 में अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस मनाने का फैसला किया था. तब से यह अनवरत जारी है. दुनिया भर में इस दिवस को एक उत्सव की तरह मनाया जाता है. इसका उद्देश्य नृत्य की शिक्षा और उसके आयोजनों में भागीदारी के लिए अधिक से अधिक लोगों को प्रोत्साहित करना है. आइटीआइ से दुनिया भर के मशहूर डांसर और कोरियोग्राफर जुड़े हुए हैं. नावेरे ने ‘लेटर्स ऑन द डांस’ नाम से नृत्य पर एक किताब भी लिखी थी, जिसमें नृत्य कला के सभी गुर सिखाये गये है.

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