बिहार में पर्यावरण संरक्षण को मध्य नज़र रखते हुए अब गंगा व अन्य नदियों के किनारे अब नए ईंट-भट्टे नहीं खोले जाएंगे. इसके साथ ही 1 किमी के दायरे में दूसरा ईंट-भट्ठा भी नहीं होगा. वहीं राष्ट्रीय राजमार्गों से भट्ठे की दूरी 200 मीटर और फोरलेन से 300 मीटर से ज्यादा रखनी होगी. बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद ने इस संबंध में आदेश जारी किया है.
प्रदूषण नियंत्रण परिषद के आदेश में नदी, राजमार्ग और आबादी के नजदीक नए ईंट-भट्ठा खोलने पर रोक लगाई गई है. हालांकि, इस आदेश से पुराने ईंट-भट्ठे पर असर नहीं पड़ेगा. इन क्षेत्रों में पहले से चल रहे पुराने ईंट-भट्ठे को पहले से तय मानकों का ही पालन करना होगा. वहीं नए ईंट भट्ठा खोलने के मानकों पर अब सख्ती बरती जाएगी.
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, प्रदूषण नियंत्रण परिषद ने नया आदेश जारी किया है. इसमें पर्यावरण संरक्षण के उपायों पर जोर दिया गया है. परिषद सदस्य सचिव ने आदेश में कहा है कि नए तय मानकों के साथ ही ऑनलाइन आवेदन करना होगा. मानक के अनुसार नहीं पाए जाने पर आवेदन निरस्त कर सहमति शुल्क जब्त किया जाएगा.
राज्य में सभी जिलों में ज्यादातर ईंट-भट्ठे अभी नदियों के किनारे या राजमार्गों के नजदीक ही हैं. पटना जिले में मनेर से दानापुर के बीच सैकड़ों भट्ठे गंगा सुरक्षा बांध के उत्तर ही हैं. नई गाइडलाइन के बाद अब इन इलाकों में नए भट्ठे नहीं खुलेंगे. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार पुराने भट्ठों का संचालन भी पर्यावरण मानकों के अनुकूल करना होगा. नए आदेश के अनुसार अब आबादी से करीब 800 मीटर दूरी पर नए भट्ठे खुलेंगे. अभी सैकड़ों पुराने भट्ठे आबादी के नजदीक हैं. आबादी के नजदीक होने पर आसपास के इलाके में वायु प्रदूषण बढ़ जाता था.
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बात दें की सरकार फ्लाई ऐश से बनाए जाने वाले ईंट को बढ़ावा दे रही है. मकसद कृषि योग्य भूमि को बचाना है. ईंट बनाने में मिट्टी की ऊपरी परत की कटाई होती है. इससे उपजाऊ भूमि नष्ट हो रही है. इसीलिए नए लाल ईंट भट्ठा खोलने के लिए नियम को सख्त किया जा रहा हैं. नए मानकों के अनुसार, ईंट भट्ठा खोलने में कई तरह की परेशानी आएगी. इसके बाद फ्लाई ऐश से बनने वाली ईंट के भट्ठे को बढ़ावा मिलेगा.
बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद के चेयरमैन डॉ. अशोक घोष ने कहा की नए ईंट-भट्ठा के मानकों में बदलाव करते हुए दूरी बढ़ाई गई है. पर्यावरण संरक्षण और कृषि योग्य भूमि को बचाना मकसद है. राज्य में अब नए मानक के अनुसार ही ईंट-भट्ठा खोलने की स्वीकृति दी जाएगी.