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Jharkhand News: 40 फीसदी तक बढ़ी झारखंड में रियल एस्टेट की प्रोजेक्ट लागत

Jharkhand News: रॉमैटेरियल की कीमत बढ़ने से कई सामानों के दाम बढ़ गए हैं. मार्च की तुलना में अप्रैल में सामान की कीमत में काफी वृद्धि हुई है. सीमेंट 280 से बढ़ कर 360 रुपये प्रति बैग, सरिया 55 से बढ़ कर 80 रुपये प्रति किलो, लाल ईंट छह से बढ़ कर 8़ 5 रुपये प्रति पीस हो गये हैं.

Jharkhand News, Ranchi: छड़, सीमेंट, ईंट, बालू, टाइल्स सहित अन्य सामान की कीमत बढ़ने का असर रियल एस्टेट इंडस्ट्री पर दिखने लगा है. बिल्डरों का कहना है कि निर्माण सामग्री की कीमत बढ़ने के कारण प्रोजेक्ट कॉस्ट (लागत) में लगभग 40 प्रतिशत तक की वृद्धि हो गयी है. इस कारण कई प्रोजेक्ट के काम की गति धीमी हो गयी है. यही नहीं, बिल्डरों को निर्माण सामग्री मिलने में भी परेशानी हो रही है. इसके लिए सात से 10 दिनों तक का इंतजार करना पड़ रहा है.

खास बात यह है कि क्रेडाइ की इंपैक्ट असेसमेंट सर्वे रिपोर्ट में भी 40 प्रतिशत डेवलपर्स ने आशंका जतायी है कि अगर कच्चे माल की कीमत और निर्माण की लागत इसी तरह बढ़ती रही, तो वह अपने प्रोजेक्ट को पूरा नहीं कर पायेंगे. कारोबार ठप हो जायेगा.

हर सामान की बढ़ी कीमत

रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण रॉ मैटेरियल की कीमत बढ़ने से कई सामान की कीमत बढ़ गयी है. मार्च की तुलना में अप्रैल में सामान की कीमत में काफी वृद्धि हुई है. सीमेंट 280 से बढ़ कर 360 रुपये प्रति बैग, सरिया 55 से बढ़ कर 80 रुपये प्रति किलो, लाल ईंट छह से बढ़ कर 8़ 5 रुपये प्रति पीस और बालू 34 से बढ़ कर 46 रुपये प्रति सीएफटी हो गये हैं.

इसी प्रकार, एक एमएम वायर (180 मीटर) 1,800 से बढ़ कर 2,100 रुपये, ब्रांडेड टाइल्स 40 रुपये से बढ़ कर 55 रुपये, चार इंच पीवीसी पाइप 630 से बढ़ कर 680 रुपये, सिंक 2,000 से बढ़ कर 2,500 रुपये प्रति पीस, कमोड 1,300 से बढ़ कर 1,600 रुपये प्रति पीस, टैप 300 से बढ़ कर 365 रुपये और मिक्सचर 3,100 से बढ़ कर 3,500 रुपये प्रति पीस हो गया है. वहीं, पीवीसी डोर 3,500 से बढ़ कर 5,000 रुपये प्रति पीस, डब्ल्यूपीसी डोर 4,000 से बढ़ कर 6,000 रुपये प्रति पीस हो गया है. वहीं, बिल्डरों के सामने बड़ी समस्या यह है कि समय पर प्रोजेक्ट को पूरा करना जरूरी है. वर्ना पेनाल्टी देना पड़ता है.

सरकारी योजनाएं भी हुईं प्रभावित

राज्य में सड़क और भवन निर्माण से संबंधित सरकारी योजनाअों का काम प्रभावित हो रहा है. निर्माण सामग्री की कीमत में अत्यधिक वृद्धि होने से यह स्थिति हुई है. ठेकेदार बढ़ी हुई दर पर काम नहीं करना चाह रहे हैं. उनका कहना है कि अभी के रेट पर काम करने से उन्हें बड़ा नुकसान होगा. वह काम नहीं करा पायेंगे, क्योंकि योजना की लागत करीब डेढ़ गुना बढ़ गयी है. इसलिए वह आला अफसरों से मिलेंगे. उनके समक्ष अपनी बातें रखेंगे कि उनके साथ योजनाअों को लेकर विभागों का रेट पर जो एग्रीमेंट हुआ है, उसे संशोधित किया जाये. इसके बाद ही वह काम कर सकेंगे, अन्यथा बढ़ी हुई दर पर काम करना संभव नहीं होगा.

अलकतरा के रेट में करीब 50 % वृद्धि

ठेकेदारों ने बताया कि साल भर में अलकतरा के रेट में करीब 50 प्रतिशत की वृद्धि हो गयी है. स्टोन चिप्स में 30 से 40 प्रतिशत की कीमत बढ़ी है. बालू नहीं मिल रहा है. बालू की कीमत में भी बेतहाशा वृद्धि हो गयी है. डीजल के दाम में बढ़ोतरी से मशीन और गाड़ियों के इस्तेमाल में खर्च बढ़ गया है.

निर्माण सामग्री की कीमत बढ़ने से प्रोजेक्ट को समय पर पूरा करने में दिक्कत आ रही है. नये प्रोजेक्ट लाने के लिए सोचना पड़ रहा है. बिजय अग्रवाल, अध्यक्ष, क्रेडाइ

कीमत बढ़ने के कारण प्रोजेक्ट कॉस्ट 40% तक बढ़ गया है. निर्माण सामग्री की कीमत अगले एक साल तक कम होने के आसार नहीं हैं. अमित अग्रवाल, निदेशक, डीइ ग्रुप

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