Jharkhand news: झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस राजेश शंकर की कोर्ट ने विधायक समरीलाल के जाति प्रमाण पत्र रद्द करने के आदेश को चुनाैती देनेवाली याचिका पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की. अंतरिम राहत के बिंदु पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने माैखिक रूप से कहा कि आपकी सदस्यता अभी खतरे में नहीं है. ऐसा कोई डाॅक्यूमेंट भी नहीं दिखता है, जिससे पता चले कि सदस्यता खतरे में है. वैसी स्थिति में फिलहाल स्टे देने का कोई मतलब नहीं है. वहीं, कोर्ट ने कहा कि आगे यदि सदस्यता पर कोई खतरा आता है, तो प्रार्थी कोर्ट आने को स्वतंत्र रहेगा. वहीं, हस्तक्षेपकर्ता सुरेश बैठा को प्रतिवादी बनाने का निर्देश देते हुए नोटिस जारी करने को कहा.
29 जून को अगली सुनवाई
कोर्ट ने राज्य सरकार को आठ जून तक जवाब दायर करने का निर्देश दिया. प्रार्थी से भी कहा कि सरकार के जवाब पर यदि कुछ कहना है, तो प्रतिउत्तर दायर करें. मामले की अगली सुनवाई के लिए अदालत ने 29 जून की तिथि निर्धारित करते हुए कहा कि उस दिन किसी पार्टी को समय नहीं मिलेगा.
प्रार्थी ओर से अधिवक्ता ने रखी अपनी बात
इससे पूर्व प्रार्थी की अोर से अधिवक्ता कुमार हर्ष ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पक्ष रखते हुए कोर्ट को बताया कि जाति छानबीन समिति को उनके प्रमाण पत्र रद्द करने का अधिकार नहीं है. बिना ठोस आधार के प्रमाण पत्र रद्द किया गया, जो प्राकृतिक न्याय के विरुद्ध है. वह वर्ष 1940 से रांची में रहते आ रहे हैं. हमारा जाति प्रमाण पत्र जांच प्रतिवेदन के बाद जारी किया गया है, इसलिए वह छानबीन समिति के अधिकार क्षेत्र से बाहर है.
जाति प्रमाण पत्र रद्द करने को दी चुनौती
इसके बावजूद समिति ने बिना साक्ष्य देखे ही उनके प्रमाण पत्र को रद्द कर दिया है. प्रार्थी ने जाति प्रमाण पत्र रद्द करने के आदेश पर रोक लगाने का आग्रह किया. वहीं राज्य सरकार की अोर से अपर महाधिवक्ता आशुतोष आनंद ने पक्ष रखा. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी कांके विधानसभा क्षेत्र के विधायक समीरलाल ने याचिका दायर कर जाति प्रमाण पत्र रद्द करने को चुनाैती दी है.
रिपोर्ट : राणा प्रताप, रांची.