बिहार के मुजफ्फरपुर से बड़ी खबर सामने आ रही है. बीआरए बिहार विश्वविद्यालय और मुजफ्फरपुर के प्राणि विज्ञान विश्वविद्यालय विभाग में आयोजित (स्नातकोत्तर ) एमएससी सेकेंड सेमेस्टर (2019-21) की परीक्षा में अधिक अंक दिलाने के नाम पर परीक्षार्थियों से जबरन पैसा वसूली करने का मामला सोशल मिडिया पर चर्चा का विषय बना हुआ है. विश्वविद्यालय के प्रिमियर कालेज व लंगट सिंह कालेज के छात्रों से भी वसूली की गयी है. छात्रों ने अपने कॉलेज के प्राणि विज्ञान विभागाध्यक्ष से जब इसकी शिकायत की तो उन्होंने छात्रों को ही डांट कर भगा दिया. छात्रों ने इसकी तस्वीर वायरल कर दिया, जिसमें विभाग के एक कर्मी द्वारा छात्रों से पैसे लेता देखा जा सकता है. पैसे देने वाले छात्रों की सूची भी जारी कर दी गई है, जिसमें छात्रों ने खुद अपना नाम लिखा है.
सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद मामला अब तूल पकड़ता नजर आ रहा है. सूत्र बताते हैं कि एक प्रोफेसर है जो स्वयं को विश्वविद्यालय का सिंडिकेट सदस्य और मुख्यमंत्री का खासमखास बताते हैं. उनके साथ अपनी तस्वीर दिखाते नहीं थकते है. विभागाध्यक्ष बनते ही प्राणि विज्ञान विभाग में भ्रष्ट गतिविधियां जोर पकड़ने लगी हैं. एक बार तत्कालीन कुलपति की अनुशंसा पर प्रोफेसर साहब को तबादला भी झेलना पड़ा था, लेकिन कथित रूप से मुख्यमंत्री की नजदीकी का लाभ उठाते हुए तब इन्होंने पुन: अपना पदस्थापन विश्विद्यालय विभाग में ही करवा लिया था.
कुलाधिपति ने तब भविष्य में सदाचरण की शर्त पर इनके तबादले को निरस्त किया था. लेकिन कुछ वर्षों बाद ही ये एक पूर्व विभागाध्यक्ष से इसलिए गाली-गलौज पर उतर आए, क्योंकि उन्होंने प्रोन्नति समिति की बैठक में इनकी प्रोन्नति पर सवाल उठाया था. इनकी रसूख का पता इस बात से भी चलता है कि कुलाधिपति के यहां से आई एक शिकायत पर तत्कालीन कुलपति पं पलांडे ने इनकी नियुक्ति से लेकर अब तक की सभी प्रोन्नतियों की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति बना दी थी.
पलांडे साहब तो चले गए, लेकिन समिति की रिपोर्ट आज तक नहीं आई! हद तो तब हो गयी जब इन्होंने परीक्षार्थियों से वसूली करना शुरू कर दी, लेकिन इस बार परीक्षार्थियों ने इनके खिलाफ पक्के सबूत के साथ अभियान छेड़ दिया है. अब देखना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन इस आपराधिक अनियमितता पर इनके खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई करता है या पुन: कोई समिति गठित कर लीपापोती में संलग्न हो जाता है.