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भाजपा और जदयू के बीच तालमेल पर सुशील मोदी ने उठाये सवाल, कहा-अतिपिछड़ा-स्वर्ण का दूर जाना मंथन का विषय

उपचुनाव को लेकर सांसद व पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने भाजपा और जदयू के बीच मौजूद तालमेल पर सवाल उठाये हैं. मोदी ने कहा है कि 2019 जैसा तालमेल इस बार नहीं दिखा. उपचुनाव में भारी अंतर से हार का यह बड़ा कारण रहा. उन्होंने कहा कि अतिपिछड़ा-स्वर्ण वोट खिसकना मंथन का विषय है.

पटना. विधानपरिषद चुनाव और बोचहां उपचुनाव को लेकर सांसद व पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने भाजपा और जदयू के बीच मौजूद तालमेल पर सवाल उठाये हैं. मोदी ने कहा है कि 2019 जैसा तालमेल इस बार नहीं दिखा. उपचुनाव में भारी अंतर से हार का यह बड़ा कारण रहा. उन्होंने कहा कि अतिपिछड़ा-स्वर्ण वोट खिसकना मंथन का विषय है.

पराजय की एनडीए समीक्षा करेगा

पूर्व उप मुख्यमंत्री और सांसद सुशील कुमार मोदी ने गुरुवार को विधान परिषद चुनाव में दस सीटों पर हार और बोचहा विधानसभा उप चनाव में मिली पराजय की एनडीए समीक्षा करेगा. पूर्व उप मुख्यमंत्री और सांसद सुशील कुमार मोदी ने गुरुवार को कहा कि बिहार विधान परिषद की 24 सीटों पर हुए चुनाव में एनडीए को दस सीटों का नुकसान और फिर विधानसभा के बोचहा उपचुनाव में एनडीए उम्मीदवार का 36 हजार मतों के अंतर से पराजित होना हमारे लिए गहन आत्मचिंतन का विषय है. एनडीए नेतृत्व इसकी समीक्षा करेगा, ताकि सारी कमियां दूर की जा सके.

एनडीए अवश्य मंथन करेगा

मोदी ने कहा कि बोचहा विधानसभा क्षेत्र की एक-एक पंचायत में एनडीए विधायकों-मंत्रियों ने जनता से संपर्क किया था. पूरी ताकत लगायी गई थी. सरकार ने भी सभी वर्गों के विकास के लिए काम किये और सबका विश्वास जीतने की कोशिश की. इसके बाद भी एनडीए के मजबूत जनाधार अतिपिछड़ा वर्ग और सवर्ण समाज के एक वर्ग का वोट खिसक जाना अप्रत्याशित था. इसके पीछे क्या नाराजगी थी, इस पर एनडीए अवश्य मंथन करेगा.

हमारा स्ट्राइक रेट अधिकतम था

मोदी ने कहा कि 2019 के संसदीय चुनाव में एनडीए के घटक दलों ने पूरे तालमेल से एक-दूसरे को जिताने के लिए मेहनत की थी, जिससे हमारा स्ट्राइक रेट अधिकतम था. उन्होंने कहा कि गठबंधन के खाते में राज्य की 40 में से 39 सीटें आयी थीं, जबकि राजद सभी सीटें हार गया था. मोदी ने कहा कि विधान परिषद की 24 सीटों पर चुनाव और विधानसभा की बोचहा सीट पर उपचुनाव में एनडीए के घटक दलों के बीच 2019 जैसा तालमेल क्यों नहीं रहा, इसकी भी समीक्षा होगी. अगले संसदीय और विधानसभा चुनाव में अभी इतना वक्त है कि हम सारी कमजोरियों और शिकायतों को दूर कर सकें.

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