राजेश कुमार ओझा
Bihar Politics बोचहां विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी की हार के बाद बिहार में सियासी हलचलें बढ़ गई है. बीजेपी कोर वोटर भूमिहारों के गढ़ में बीजेपी की हार के बाद इस बात की भी चर्चा तेज हो गई है कि बिहार में भूमिहारों बीजेपी से नाराज हो गए हैं. बिहार के भूमिहार नेता भी इसे स्वीकार करते हैं. उनका स्पष्ट कहना है कि जिसके लिए हमने गोली खायी वह हमें अब किनारे करने में लगा है. यह हम सहन नहीं करेंगे. जहां मान सम्मान मिलेगा हम उसके साथ रहेंगे.
पूर्व विधायक और भूमिहार नेता अवनीश कुमार सिंह कुमार सिंह ने प्रभात खबर के साथ विशेष बातचीत में कहा कि भूमिहार ब्राह्मण वोटरों को बंधुआ समझने वाले यह समझ लें कि वे किसी के बंधुआ मजदूर नहीं हैं. भाजपा अपने कोर वोटरों (भूमिहार) को नाराज कर दूसरे समीकरणों से चुनाव जीतना चाह रही थी. लेकिन उनकी नीति धराशायी हो गई. सिंहने बिहार बीजेपी नेतृत्व और नित्यानंद-भूपेन्द्र गुट पर भी हमला किया. दोनों को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि लालू-राबड़ी राज में जब बीजेपी का झंड़ा उठाने को कोई तैयार नहीं था,तब भूमिहार-ब्राह्म्ण समाज के नेता आगे आये थे और लड़ाई लड़ी थी.
2005 में जब भाजपा सत्ता में आई और सत्ता सुख भोगने की बारी आई तो लड़ाई लड़ने वाले भूमिहार नेताओं को किनारे कर दिया गया. यह अब नहीं चलेगा. उन्होंने कहा कि भूमिहार के सभी बड़े नेताओं को धीरे-धीरे ठिकाना लगाया जाने लगा. बीजेपी में वैसे नेताओं की पूछ बढ़ गई जो गणेश परिक्रमा करने वाले थे.
एमएलसी सच्चिदानंद राय ने कहा कि पार्टी के हम समर्पित कार्यकर्ता थे. लेकिन, पार्टी ने हमपर भरोसा नहीं किया. ऐसे समय में समाज के लोगों ने हमारी बड़ी मदद की. इसलिए यह मेरी अब जिम्मेवारी बन गई है कि अपने क्षेत्र की जनता के साथ साथ हम अपने समाज के लिए भी कुछ काम करें.