World Liver Day 2022: हमारे शरीर में मस्तिष्क के बाद लिवर दूसरा सबसे बड़ा और जटिल ऑर्गन है. यह शरीर के पाचन तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. यह भोजन में मौजूद वसा और कार्बोहाइड्रेट को सुपाच्य बनाता है. यह एक नेचुरल फिल्टर भी है, जो हानिकारक पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है. डॉ हरिहर दीक्षित, कार्यकारी सचिव, आइएमए, एकेएन सिन्हा इंस्टीट्यूट, पटना से जानें लिवर लिवर को रखने का तरीका
शरीर के लिए उपयोगी प्रोटीन यहां बनता है और पाचन के लिए उपयोगी पित्त का स्राव भी लिवर से ही होता है. चूंकि, लिवर एक साथ कई काम करता है, इसलिए इसमें गड़बड़ी आने पर एक साथ कई परेशानियां खड़ी हो जाती हैं. इस स्थिति में जरूरी है कि आप लिवर की सेहत का खास ख्याल रखें.
10 लाख से ज्यादा क्रोनिक लिवर डिजीज के मामले देश में हर वर्ष आते हैं सामने
5 में एक हर पांच में से एक भारतीय लिवर की किसी-न-किसी समस्या से ग्रस्त
लिवर हमारे शरीर में सैकड़ों कामों को अंजाम देता है. ऐसे में इसके कमजोर होने से शरीर की प्रतिरोधी क्षमता भी कमजोर हो जाती है. आजकल यह देखा जा रहा है कि मोटापा की बढ़ती समस्या की वजह से लोगों में फैटी लिवर की शिकायत भी तेजी से बढ़ी है. ऐसा होने पर लिवर अपना काम सही तरीके से नहीं कर पाता है और लंबे समय तक यह स्थिति बने रहने पर लिवर को गंभीर नुकसान पहुंचता है. यहां तक कि स्थिति जानलेवा हो सकती है. खास बात है कि लिवर हमें तब तक कोई संकेत नहीं देता, जब तक कि वह 70 से 80 प्रतिशत तक खराब न हो जाये. ऐसे में संकेत मिलने तक कई बार देर हो जाती है, इसलिए बहुत जरूरी है कि आप लिवर के स्वास्थ्य की बिल्कुल भी अनदेखी न करें.
लिवर हमारे शरीर के एक उत्सर्जी अंग के रूप में भी काम करता है. यह हानिकारक व जहरीले पदार्थों को पित्त (बाइल) के रूप में छान कर शरीर से अलग करता है. स्टूल का भूरा रंग भी पित्त की वजह से होता है. यह शरीर में ग्लूकोज को नियंत्रित करने में भी अहम भूमिका निभाता है. अगर किसी को फैटी लिवर की समस्या है, तो ज्यादातर मामलों मे वह टाइप-2 डायबिटीज का मरीज भी हो सकता है. जब हम कुछ भी खाते हैं, तो लिवर ग्लाइकोजन को ग्लूकोज में बदल देता है. जब लिवर में ग्लूकोज ज्यादा मात्रा में जमा होने लगता है, तो यह फैट में बदल जाता है. इसके बाद ही फैटी लिवर की स्थिति उत्पन्न होती है. कई बार हमारा शरीर इतना प्रोटीन पैदा नहीं कर पाता कि उसकी जरूरत पूरी हो. ऐसे में लिवर ही वह प्रोटीन भी बनाता है.
लिवर को नुकसान
हर दिन 30 से 45 मिनट की एक्सरसाइज और आहार में फाइबरयुक्त चीजें लेने से फैटी लिवर की समस्या से बचा जा सकता है.
अगर आपके परिवार में किसी को शुगर, बीपी आदि की परेशानी है, तो उसे हर 6 महीने में एक बार लिवर फंक्शन टेस्ट जरूर कराना चाहिए.
शरीर को ऊर्जावान बनाये रखने के लिए लिवर का स्वस्थ होना बहुत जरूरी है. यही वजह है कि लिवर को बॉडी का ‘पावरहाउस’ भी कहा जाता है. आमतौर पर लिवर का वजन, हमारे शरीर के वजन का लगभग 1.5 से 2 प्रतिशत तक होता है. अगर किसी व्यक्ति का वजन 70 किलोग्राम है, तो उसके लिवर का वजन 1050 से 1400 ग्राम तक हो सकता है. अगर किसी के लिवर का वजन इससे ज्यादा है, तो हो सकता है कि लिवर में इन्फेक्शन या फिर सूजन हो.
लिवर में होने वाली बीमारी या किसी भी तरह की समस्या का असर मेटाबॉलिज्म को प्रभावित करता है. विशेषज्ञों के मुताबिक, जीवनशैली और आहार की गड़बड़ी के कारण लिवर का स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है. वहीं, अल्कोहल और जंक फूड का सेवन लिवर को गंभीर क्षति पहुंचा सकती हैं. थकान, अपच या अचानक भूख न लगना, खुजली, वजन बढ़ना जैसे लक्षण लिवर की सेहत की खराबी के संकेत हो सकते हैं. ऐसे लक्षणों की बिल्कुल अनदेखी नहीं करनी चाहिए.
आहार में हों फाइबरयुक्त चीजें : आमतौर पर लिवर से जुड़ी समस्याएं उन लोगों को ज्यादा होती हैं, जो अपने हरदिन के आहार में फाइबरयुक्त चीजों को कम शामिल करते हैं. आप फाइबरयुक्त चीजों को जितना ज्यादा खायेंगे, लिवर को उतना ही फायदा होगा. मौसमी फल और सब्जियां जैसे- सेब, अमरूद, मूली, गाजर, पालक व अन्य साग आदि को ज्यादा-से-ज्यादा खाएं. इसके अलावा खट्टे फलों को खान-पान का हिस्सा बनाएं. खट्टे फलों में विटामिन सी पर्याप्त मात्रा में होती हैं. लिवर की सेहत के लिए विटामिन सी बहुत जरूरी है.
शरीर के अन्य अंगों की तरह लिवर को भी मजबूत बनाने में एक्सरसाइज और फिजिकल एक्टिविटीज का अहम योगदान होता है. हर दिन 30 से 45 मिनट तक की फिजिकल एक्टविटीज से फैटी लिवर की स्थिति से हमेशा के लिए बचा जा सकता है. इसके साथ-साथ प्राणायाम भी जरूरी है. हर दिन 10 से 15 मिनट का प्राणायाम लिवर के काफी काम आता है. अगर योग में दिलचस्पी है, तो उसे भी जरूर करें. सीधे तौर पर समझें कि आप अपने ‘पेट को तोंद’ न बनने दें.
शराब, पैक्ड फूड, स्टोर करके रखे जाने वाले फूड/नॉनवेज आइटम्स, तले खाद्य पदार्थ आदि से दूरी रखनी चाहिए. इन्हें स्टोर करने या इनकी लाइफ बढ़ाने के लिए जिन रसायनों का इस्तेमाल होता है, ये लिवर के लिए बहुत ज्यादा हानिकारक होते हैं.
लिवर फंक्शन टेस्ट
लिवर में इतनी ताकत होती है कि जब तक वह 70 प्रतिशत से ज्यादा खराब नहीं हो जाये, तब तक मरीज में कोई गंभीर लक्षण उभरकर नहीं आत. ऐसे में कोई भी प्रारंभिक लक्षण दिखे तो लिवर फंक्शन टेस्ट करवाना चाहिए. इसके लिए मरीज का ब्लड टेस्ट किया जाता है. लिवर की क्षति होने पर लिवर सेल्स में मौजूद एंजाइम (एसजीपीटी, एसजीओटी, बिलीरुबिन) के ब्लड में मिलने की जांच की जाती है. अगर परिवार में किसी को शुगर, बीपी आदि की समस्या है, तो उसे हर 6 महीने में एक बार यह टेस्ट जरूर कराना चाहिए.
मरीज के ब्लड में एंजाइमों का लेवल सामान्य से ज्यादा आना इस बात का संकेत देता है कि लिवर कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो रही हैं. एक्यूट लिवर डिजीज में यह लेवल बहुत ज्यादा बढ़ जाता है और हजारों तक पहुंच जाता है, लेकिन ब्लड में एंजाइमों का लेवल 100-500 तक होने का मतलब है कि मरीज को क्रोनिक लिवर डिजीज है, जो धीरे-धीरे विकसित होती है. इसके बाद पेट के अल्ट्रासाउंड से वायरल हैपेटाइटिस, ड्रग इन्ड्यूज हैपेटाइटिस जैसी एक्यूट लिवर डिजीज का पता चलता है.
कई कारणों से लिवर ठीक से काम करना बंद कर देता है या क्षतिग्रस्त हो जाता है. ऐसे में लिवर कोशिकाएं अपने अंदर मौजूद एंजाइम को बाहर निकाल देती हैं, जिससे ब्लड में इनका लेवल बढ़ने लगता है. ब्लड में इन एंजाइम का लेवल ज्यादा होना- लिवर रोग का संकेत देता है. लिवर को क्षति पहुंचाने के कई कारण हो सकते हैं जैसे- वायरस, डॉक्टर की सलाह के बिना दवाइयां खाना, ऑटो इम्यून डिजीज, मोटापा, कॉपर-आयरन जमाव, ब्लड ट्रांसफ्यूजन, अल्कोहल पीना, मसालेदार भोजन करना, दूषित पानी व भोजन, रहन-सहन के गलत तौर-तरीके आदि.
लिवर के लिए शरीर में शराब की मौजूदगी खतरनाक है. अल्कोहल से बनने वाली वसा को भी लिवर स्टोर करता है. इससे लिवर में सूजन आ जाती है. साथ ही फैटी लिवर के चांसेज भी बहुत बढ़ जाते हैं. बाद में अल्कोहलिक हेपेटाइटिस का खतरा बढ़ जाता है.
आमतौर पर मोटापा कई दूसरी बीमारियों को भी ट्रिगर करता है. लिवर के लिए भी ज्यादा फैट नुकसानदेह है. लिवर को उसके वजन के 5 प्रतिशत तक ही फैट की जरूरत होती है. फैट की मात्रा अगर इससे ऊपर चली जाये, तो समस्या पैदा हो जाती है. यह जितनी बढ़ती जायेगी, लिवर की परेशानी भी बढ़ती जायेगी. हालांकि, फैटी लिवर की समस्या एक दुबले व्यक्ति को भी हो सकती है.
बढ़ा हुआ शुगर लेवल अगर कुछ अंगों को बहुत ज्यादा प्रभावित करता है, उनमें से किडनी और लिवर भी शामिल हैं. अगर किसी को शुगर है, तो उसे लिवर का भी खास ख्याल रखना चाहिए. जरूरत के अनुसार, समय-समय पर लिवर फंक्शन टेस्ट कराना चाहिए. वहीं बीपी को काबू में रखना भी जरूरी है. बीपी की दवाएं सही समय पर लेते रहने की जरूरत होती. अगर शुगर और बीपी को काबू में न रखा जाये, तो फैटी लिवर की समस्या हो सकती है.
लिवर को अहिस्ता-अहिस्ता नुकसान पहुंचाने में गलत खान-पान की भूमिका बहुत अहम है. हाल के वर्षों में लिवर से जुड़ी समस्याओं के ऐसे बहुत से मामले सामने आये हैं, जब व्यक्ति कोई नशा नहीं करता था. पहले फैटी लिवर हुआ, खान-पान का ध्यान नहीं रखा, तो 15 से 20 वर्ष के बाद 70 प्रतिशत से ज्यादा लिवर खराब हो गया और वह लिवर सिरोसिस (लिवर इतना खराब हो जाये कि लिवर ट्रांसप्लांट ही उपाय बचे) में बदल गया. यहां से लिवर की वापसी बहुत ही मुश्किल हो जाती है.
पेनकिलर्स भले ही हमें दर्द से राहत देते हैं, लेकिन ये हमारे लिवर के लिए बहुत ही खतरनाक हैं. ये लिवर में बहुत ज्यादा मात्रा में जहरीला पदार्थ पैदा करते हैं, जिससे लिवर को बहुत नुकसान होता है. यह ठीक उसी तरह लिवर के लिए नुकसानदायक है, जिस तरह कोई लगातार शराब का सेवन करता है. कई बार ये दवाएं लिवर के लिए शराब से भी ज्यादा खतरनाक हो जाते हैं.
हेपेटाइटिस वायरस के पांच स्ट्रेन होते हैं. ए, बी, सी, डी और इ. इनकी वजह से लिवर में इन्फेक्शन होता है. कई बार हेपेटाइटिस के चलते लिवर में फाइब्रोसिस की समस्या हो जाती है. इसका पता लगाने के लिए लिवर फाएब्रो स्कैन टेस्ट कराया जाता है.
आमतौर पर यह समझने में देर हो जाती है कि लिवर में कुछ गड़बड़ी आ रही है. केवल शराब ही लिवर का दुश्मन नहीं है. आजकल खराब जीवनशैली व जंक फूड भी इसे अपना शिकार बना रहे हैं.
लिवर की समस्या वाले लोगों को आसानी से शरीर पर जगह-जगह चकत्ते जैसे निशान पड़ जाते हैं. अगर शरीर पर बार-बार निशान पड़ रहे हैं, तो इसे स्किन की आम समस्या समझ कर इग्नोर न करें. अगर हल्की चोट लगने पर आसानी से खून निकल आता है, तो भी यह लिवर के डैमेज होने का संकेत है. इसका मतलब है कि लिवर सही प्रोटीन नहीं बना पा रहा है.
आमतौर पर खुजली की वजह एलर्जी होती है, लेकिन यदि आपको बार-बार खुजली हो रही है, तो यह लिवर की बीमारी के संकेत हो सकते हैं. इस स्थिति में स्किन पूरी तरह से आम दिखेगी, लेकिन कुछ जगहों पर अचानक खुजली शुरू हो जायेगी. दरअसल, बाइल जूस जब त्वचा के नीचे जमने लगता है, तो खुजली शुरू हो जाती है. इसे अनदेखा न कर डॉक्टर से मिलना चाहिए.
कुछ लोगों के लिवर में सूजन आ जाती है, जिससे उनके पेट का आकार बढ़ जाता है. कई लोग इसे मोटापा समझने की गलती कर बैठते हैं, जो बाद में दिक्कतें बढ़ा सकती हैं. ऐसे में अगर पेट का आकार बढ़े और बीच-बीच में वहां दर्द हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.
ऐसे तो थकान के पीछे कई वजहें होती हैं, लेकिन हल्का चलने पर भी यदि आप थका हुआ महसूस करते हैं. शरीर में बुखार जैसा महसूस होता हो और हर समय थका-थका सा लगता हो, तो इसे इग्नोर न करें. यह लिवर की बीमारी के संकेत हो सकते हैं.
लिवर के ज्यादा खराब होने की स्थिति में पेशाब का रंग बदल जाता है, यानी वह गहरा हो जाता है. इसके अलावा पीलिया के लक्षण जैसे- नाखूनों और आंखों के सफेद भाग का पीला हो जाना भी लिवर के खराब होने के संकेत हो सकते हैं. ऐसे में आपको डॉक्टर से जरूर संपर्क करना चाहिए.
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.