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चतरा के बारियातु पंचायत में आरक्षण का बैरियर हटा, अब हर लोग अजमाएंगे दांव, जानें बीते चुनाव की स्थिति

चतरा के बरयातु पंचायत में आरक्षण का बैरियर हट चुका है, इससे अब हर लोग किस्मत अजमा सकेंगे. पूर्व के दो चुनाव में मुखिया का पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित था. इस पंचायत में एससी जाति की संख्या सर्वाधिक है

चतरा: प्रखंड में तीसरे चरण में पंचायत चुनाव होगा. 25 अप्रैल को सूचना प्रकाशित होने के साथ ही दो मई तक प्रत्याशी नामांकन दाखिल कर सकेंगे. चार-पांच मई को स्क्रूटनी व छह-सात मई तक नाम वापसी की तिथि निर्धारित है. नौ मई को चुनाव चिह्न आवंटित, 24 मई को मतदान व 31 मई को मतगणना होगी. चुनाव की तिथि की घोषणा होते ही बारियातु पंचायत में चुनावी सरगर्मी तेज हो गयी हैं.

एक मुखिया, दो पंचायत समिति सदस्य, 15 वार्ड सदस्य व एक जिला परिषद के लिए 5123 मतदाता मताधिकार का प्रयोग करेंगे. पंचायत में 15 मतदान केंद्र बनाये गये हैं. इस बार बारियातु पंचायत की चुनाव में स्थिति अलग दिखने वाली हैं. पूर्व के दो चुनाव में मुखिया का पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित था.

दोनों बार किरण देवी मुखिया बनी. इस बार यह सीट अनारक्षित हैं. जिस कारण यहां कई नये चेहरे मुखिया पद के लिए किस्मत अजमायेंगे. पंचायत में विद्यालयों की संख्या 12 हैं, जिसमें प्राथमिक विद्यालय आठ, मध्य विद्यालय तीन, उच्च विद्यालय एक, आंगनबाड़ी छह व स्वास्थ्य उप केंद्र एक हैं.

एससी जाति की संख्या अधिक

बारियातु पंचायत में आठ राजस्व गांव व दस टोला है. यहां की आबादी में सबसे अधिक जनसंख्या अनुसूचित जाति के लोगों की है. यहां 3181 अनुसूचित जाति, 236 अनुसूचित जनजाति, 2956 ओबीसी व 1030 अन्य की जनसंख्या है.

पिछड़े पंचायत की सूरत बदली : किरण देवी

दो चुनावों में लगातार जीत हासिल करने वाली मुखिया किरण देवी ने बताया की पंचायत की स्थिति किसी से छिपी नहीं थी. जंगली क्षेत्र होने के कारण यहां के गांवों में कई समस्याएं व्याप्त थी. 10 वर्ष से लगातार विकास के कई काम हुए. मनरेगा से कई कच्ची सड़कें बनी. जिससे लोगों का आवागमन सुगम हुआ. पंचायत के गांवों में जलमीनार, स्ट्रीट लाइट, पीसीसी व पेवर ब्लॉक पथ बनाने का काम किया हूं.

बिचौलियों का अधिक विकास हुआ : डेगन

2015 के चुनाव में दूसरे स्थान पर रहने वाले डेगन गंझू ने कहा कि मुखिया किरण देवी के कार्यकाल में गरीबों का कम, बिचौलियों का खूब विकास हुआ. कई योग्य लोग आज भी पेंशन से वंचित हैं. मनरेगा की सड़कें केवल पैसों के बंदरबांट के लिए बनी. दर्ज़नों सड़कें ऐसे हैं, जो केवल जंगली पशुओं के विचरण के लिए है. गांव में लगी जलमीनार, स्ट्रीट लाइट मरम्मत के अभाव में बेकार पड़े हैं.

Posted By: Sameer Oraon

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