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ग्राम स्वराज का विस्तार

स्वीकृत राशि 5911 करोड़ रुपये में केंद्र सरकार का योगदान 37 सौ करोड़ रुपये होगा और शेष राशि राज्य सरकारें उपलब्ध करायेंगी.

हमारे देश के लोकतांत्रिक सशक्तीकरण तथा ग्रामीण विकास में पंचायती राज संस्थानों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. वर्तमान समय में सतत विकास एक बड़ी प्राथमिकता है. इस दृष्टि से राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान के लिए लगभग छह हजार करोड़ के वित्तीय आवंटन को केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृत किया जाना सराहनीय पहल है. इससे देश के 2.78 लाख ग्रामीण निकायों को लाभ मिलेगा और सतत विकास के लिए आवश्यक संसाधन जुटाये जा सकेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी की बैठक में इस योजना को 2025-26 तक बढ़ाने का भी स्वागतयोग्य निर्णय लिया गया है.

स्वीकृत राशि 5911 करोड़ रुपये में केंद्र सरकार का योगदान 37 सौ करोड़ रुपये होगा और शेष राशि राज्य सरकारें उपलब्ध करायेंगी. केंद्र सरकार विभिन्न प्रकार की योजनाओं के माध्यम से ग्रामीण विकास के प्रयासरत है, जिसमें तकनीक को गांव-गांव तक पहुंचाना भी शामिल है. ग्राम स्वराज अभियान के तहत पंचायतों में कार्यरत कर्मियों को समुचित प्रशिक्षण देना एक प्रमुख प्रावधान है. इस आवंटन के माध्यम से कुल 1.36 करोड़ कर्मियों को प्रशिक्षित किया जायेगा ताकि पंचायती राज संस्थाओं को बेहतर मानव संसाधन मिल सके और तीसरे स्तर की शासन व्यवस्था को प्रभावी बनाया जा सके.

राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम है, जिसे पहली बार 2018 में केंद्रीय कैबिनेट ने स्वीकृत किया था. उस समय इसकी अवधि 2018 से 2022 तक निर्धारित की गयी थी. कार्यक्रम की उपलब्धियों और इसके महत्व को देखते हुए अब इस अवधि को 2026 तक बढ़ाया गया है. उल्लेखनीय है कि महामारी के दो वर्षों में ग्रामीण जन-जीवन और अर्थव्यवस्था पर बहुत दबाव बढ़ा है. सरकार के कल्याणकारी कार्यक्रमों से इस दबाव के असर को एक सीमा तक कम किया जा सका है, लेकिन अभी ऐसी पहलों की आवश्यकता बनी हुई है.

सरकार स्वच्छ पेयजल पहुंचाने, स्वास्थ्य सेवा को बढ़ाने तथा इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के सहारे ग्रामीण भारत में सुविधाओं एवं संसाधनों के विस्तार में जुटी हुई है. प्रधानमंत्री मोदी इस संबंध में सीधे पंचायत प्रतिनिधियों तथा जिलाधिकारियों से भी संवाद कर चुके हैं. इन प्रयासों को सफलतापूर्वक साकार करने में पंचायत के निर्वाचित प्रतिनिधियों और कर्मचारियों की मुख्य भूमिका है. इस वित्तीय आवंटन से इनकी क्षमता तो बढ़ेगी ही, संसाधनों के अभाव को भी बहुत हद तक दूर किया जा सकेगा. इस निर्णय से नौ मुद्दों पर आधारित सतत विकास लक्ष्यों को पूरा करने में बड़ी सहायता मिलेगी.

इन मुद्दों में गरीबी निवारण और रहन-सहन को बेहतर बनाना, स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाना, स्वच्छ व हरित गांव बनाना, बच्चों के लिए अच्छा वातावरण मुहैया कराना, समुचित पानी उपलब्ध कराना, इंफ्रास्ट्रक्चर विस्तार आदि शामिल हैं. भारत को आत्मनिर्भर बनाने तथा रोजगार के अवसर पैदा करने में गांवों की बड़ी भूमिका हो सकती है. यदि पंचायतें ठीक से काम करेंगी, तो निश्चित ही गांवों का विकास होगा. स्थानीय स्तर पर शासन को सक्षम और उत्तरदायी बनाकर ग्रामीण भारत का कायाकल्प हो सकता है.

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