कश्मीर में बाहरियों की हत्या बंद नहीं हुई है. अब भी पोस्टर बैनर लगाकर धमकियां दी जा रही है कि बाहरी लोग कश्मीर छोड़ें. दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले के काकरान इलाके में आतंकवादियों ने एक व्यक्ति को गोली मारकर हत्या कर दी. पेशे से ड्राइइवर सतीश सिंह काकरान कुलगाम में रह रहे थे. आतंकवादी संगठन ने गैर स्थानीय लोगों को घाटी छोड़ने की चेतावनी दी है. ये चेतावनी कश्मीरी पंडितों को दी गई है कि वह घाटी छोड़कर चले जाएं.
यूं तो कश्मीर को समझने के लिए कई शानदार किताबें हैं, कश्मीर के इतिहास और वर्तमान स्थिति पर भी कई बेहतरीन पुस्तकें आपको बाजार में मिलेंगी लेकिन फिल्म कश्मीर फाइल ने देश में कश्मीर को लेकर एक अलग समझ विकसित की है. फिल्म का जिक्र इसलिए क्योंकि तमाम कहानी और चर्चाओं के बाद भी कश्मीर में कुछ खास बदला नहीं है.
कश्मीर पंडितों की कहानी के कश्मीर में आज भी कुछ ऐसे लोग हैं जिन्होंने आतंकवाद के इस दौर में भी जान के खतरे के बावजूद कश्मीर नहीं छोड़ा इनमें से ही हैं कुलगाम व शोपियां इलाके में रहने वाले राजपूत परिवार के लोग. यह परिवार सेब के कारोबार से जुड़े हुए हैं. एक बार फिर वही डर का माहौल इनके लिए तैयार किया जा रहा है.
आतंकियों की ओर से दक्षिण कश्मीर में गैर कश्मीरी मजदूरों तथा आम नागरिकों पर इस महीने हमले की यह पांचवीं घटना है. तीन अप्रैल को पुलवामा के लिट्टर इलाके में पोल्ट्री वाहन के पठानकोट निवासी चालक-खलासी, पुलवामा के लोजूरा में तीन अप्रैल को बिहार निवासी दो मजदूर, तीन अप्रैल को ही शोपियां के छोटीगाम में कश्मीरी पंडित दवा कारोबारी बाल कृष्ण, सात अप्रैल को पुलवामा के याडर में पठानकोट निवासी एक मजदूर को आतंकियों ने गोली मारकर घायल कर दिया. 13 अप्रैल को राजपूत परिवार के एक व्यक्ति की आतंकियों ने हत्या कर दी.
कश्मीर घाटी से प्रवासी मजदूरों खासकर यूपी और बिहार के लोग पलायन करने को मजबूर हो गए हैं. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कश्मीर में पिछले 20 दिनों में सात प्रवासी कामगारों को गोली मारकर घायल कर दिया गया है। सभी हमले पुलवामा के दक्षिणी जिले में हो रहे हैं.
वर्तमान में पुलवामा में लगभग 6,000-6,500 प्रवासी श्रमिक होंगे। यह (काम) के मौसम की शुरुआत है लेकिन फिर भी संख्या बहुत कम है। एक सामान्य मौसम में इस समय लगभग 20,000-30,000 प्रवासी श्रमिक होते हैं। आधिकारिक अनुमानों के अनुसार, लगभग 3 लाख प्रवासी श्रमिक- ज्यादातर बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब और झारखंड से- हर साल काम के लिए कश्मीर आते हैं