जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर की जन्मस्थली जमुई अनुमंडल के वर्तमान सिकंदरा प्रखंड में लछुआड़ ग्राम की दक्षिणी सीमा पर पर्वतीय क्षेत्र में अवस्थित कुंडग्राम के क्षत्रियकुंड को माना जाता है. लछुआड़ को केंद्र सरकार ने जैन सर्किट से भी जोड़ने की बात कही है. वहीं क्षत्रियकुंड गांव में अब ऋषिकेश के लक्ष्मण झूला की तर्ज पर ही ब्रिज बनाने की तैयारी है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इसके लिए बिहार सरकार के पर्यटन विभाग ने मंजूरी भी दे दी है.
क्षत्रियकुंड गांव में लक्ष्मणझूला की तरह पुल बन जाने के बाद लछुआड़ धर्मशाला और क्षत्रियकुंड के बीच की दूरी करीब 7 किलोमीटर घट भी जाएगी. अभी ये दूरी करीब 17 किलोमीटर की है. जैन शास्त्रों के अनुसार गृह त्याग के उपरांत क्षत्रियकुण्ड से निकल कर भगवान महावीर दिन ढलने के पूर्व कुर्मार वर्तमान में कुमार गांव पहुंच कर रात्रि विश्राम किया था. कुर्मार गांव में ही वस्त्र का त्याग कर भगवान महावीर केवल ज्ञान की प्राप्ति के लिए प्रस्थान कर गए थे.
अपनी साधना के 12 वर्षों के दौरान विभिन्न नगर व ग्रामों का भ्रमण करते हुए भगवान पुनः महावीर उल्लुवालिका वर्तमान में उलाय नदी के तट पर अवस्थित जन्भिय वर्तमान में जमुई ग्राम पहुंचे. जहां उन्हें केवल ज्ञान की प्राप्ति हुई. सिकंदरा प्रखंड अंतर्गत ही लछुआड़ से जैनसंघडीह जिसे अब जानसीडीह के नाम से जाना जाता है नामक स्थान है.
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हालांकि सरकारी पाठ्यक्रमों में आज भी वैशाली को भगवान महावीर के जन्म स्थान के रूप में उल्लेखित किया जाता है. परंतु दुनिया भर में फैले जैन श्वेतांबर समुदाय के लोग जमुई जिला स्थित क्षत्रियकुंड को भगवान महावीर का जन्म स्थान मानकर प्रत्येक वर्ष हजारों की संख्या में अपनी श्रद्धा निवेदित करने यहां पहुंचते हैं. जैन धर्म के प्रवर्तक भगवान महावीर स्वामी की जन्मस्थली क्षत्रियकुण्ड सदियों से जैन श्रद्धालुओं के आस्था का केंद्र रहा है.
POSTED BY: Thakur Shaktilochan