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Jharkhand News: आदिवासियों के हितैषी नहीं हैं सीएम हेमंत सोरेन, जयराम महतो ने स्थानीय नीति पर बोला हमला

जयराम महतो ने कल चक्रधरपुर में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा राज्य में रहने वाला हर व्यक्ति झारखंडी नहीं हो सकता. उन्होंने हेमंत सोरेन पर भी हमला बोलते हुए कहा कि वो आदिवासियों के हितैषी नहीं हैं

चक्रधरपुर: इंदकाटा गांव के मोरांगटांड मैदान में मंगलवार की शाम झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति चक्रधरपुर का महाजुटान कार्यक्रम आयोजित हुआ. जहां पर खातियान आधारित स्थानीय और नियोजन नीति के लिए हुंकार भरी गई. कार्यक्रम के मुख्य वक्ता और कोयलारी से आए युवा नेता टाइगर जयराम महतो थे. उन्होंने झारखंडी हितों को लेकर अपनी बात को रखी.

उन्होंने कहा कि 88 सालों की संघर्ष के बाद हमें अलग झारखंड मिला है. 1912 में पहलीवार झारखंड को अलग करने की गूंज उठी थी. 88 हजार लोगों ने बलिदान दिया, तब जाकर झारखंड मिला. अब हम सभी को झारखंडी कैसे मान लें. जिस तरह बंगाल में रहने वाले हर व्यक्ति बंगाली नहीं, बिहार में रहने वाले हर व्यक्ति बिहारी नहीं, तो झारखंड में रहने वाला हर व्यक्ति झारखंडी कैसे हो सकता है. आज इसी अन्याय के लिए लड़ने के लिए कोयला नगरी से आवाज बुलंद हुआ था.

और इस अन्याय से लड़ने के लिए कोयला नगरी से आवाज बुलंद हुआ. क्यों कि बिना कोल्हान के सहयोग से झारखंड मिलना संभव नहीं था. कोल्हान वीरों की माटी है. यहां के वीरों ने अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए थे. आज फिर से आवश्यकता है आंदलन को धार देने की. उन्होंने कहा कि मैं कोई नेता नहीं हूं, न फिलोसोफर हूं. मैं बस आपको आपका भविष्य को बताने आया हूं. उन्होंने कहा कि हमें यदि नौकरी नहीं दी जा रही है, इसमें भी साजिश है.

ताकि हम गरीब रहे और हमारी जमीन को बेच डाला जाए. इसलिए हमें नौकरी देने काम नहीं किया जा रहा है. जयराम महतो ने कहा कि हमारी जमीन पर कारखाना लगेगा और बाहरी नौकरी करेंगे ये कहां का इसांफ है.

आईएलपी यहां भी लागू होना चाहिए

टाईगर श्री महतो ने कहा कि सभी राज्यों की अलग अलग नीति नियम है. लेकिन दोहरी नीति केवल झारखंड में ही है. नागालैंड की तरह झारखंड में भी आईएलपी लागू होना चाहिए. क्यों कि पर भी भोले भाले आदिवासी रहते हैं. ये कानून इसी वजह से ही बनाया गया है. लेकिन गलत तरीके से हमारी जमान को छीनने की कोशिश की गयी है. सीएम हेमंत सोरेन आदिवासी समझकर हितैषी समझने की भूल न करें. वो केवल भावनाओं से खेल रहे हैं. अगर वो आदिवासी होते तो दुमका से अपने भाई को चुनव नहीं लड़वाते. ये आपलोगों को तय करना है कि आपलोगों का हितैषी कौन है.

झुमर कार्यक्रम ने बांधे रखा समां

खतियान आधारित स्थानीय और नियोजन नीति के लिए महाजुटान में झुमर कार्यक्रम आकर्षक रहा. मंगलवार को 43 डिग्री सेल्सियस की प्रचंड गर्मी थी. इतनी प्रचंड गर्मी में भी झुमर कार्यक्रम समां बांधे रखा. झुमर दल मनोहरपुर से पहुंचा था. ये कार्यक्रम दोपहर 1 बजे से शुरू होकर शाम 5 बजे तक चला. इस कार्यक्रम में चक्रधरपुर ही नहीं पश्चिम सिंहभूम और सरायकेला खरसावां जिले से लोग पहुंचे थे.

Posted By: Sameer Oraon

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