रांची: सरकार ने पंचायत प्रतिनिधियों को गांवों की छोटी-छोटी योजनाओं से लेकर सामाजिक सारोकार की बड़ी जिम्मेदारियां दी हैं. विकास की छोटी-छोटी योजनाओं का क्रियान्वयन उनके द्वारा किये गये ग्रामसभा के माध्यम से होता है. छोटी सड़कें, नालियों का निर्माण, पेयजल की व्यवस्था, सामुदायिक भवन, सड़कों पर लाइट, खेलकूद के पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराने की व्यवस्था भी मुखिया के माध्यम से हो रहा है. कुल मिला कर पंचायती राज संस्थानों को स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास, खाद्य सुरक्षा से लेकर सामाजिक मुद्दों से जुड़े अधिकार दिये गये हैं. इस तरह 14 विभागों के 29 विषय के अधिकार पंचायती सरकार को दिये गये हैं.
वन एवं पर्यावरण, ऊर्जा, खाद्य सुरक्षा, खनन, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग, कृषि, भूमि विकास एवं लघु सिंचाई, पशुपालन, स्वास्थ्य एवं पोषण, शिक्षा एवं कौशल विकास, पर्यटन, खेलकूद, आजीविका,सामाजिक सुरक्षा, पेंशन, आवास एवं आधारभूत संरचना, महिला एवं शिशु कल्याण तथा सामाजिक मुद्दे से जुड़े अधिकार देने की बात कही गयी है.
गांवों की वृद्ध, विधवा, विकलांग, आदिम जनजाति समुदाय के सदस्यों को सामाजिक सुरक्षा के तहत पेंशन दिलाने में पंचायत प्रतिनिधियों की भूमिका अहम होती है. गांव की गरीब एकल महिलाओं, विकलांग, बुजुर्ग को राशन कार्ड दिलाना, उन्हें राशन मुहैया कराने आदि में भी उन्हें महत्वपूर्ण अधिकार हैं.
आवास योजना के लिए लाभुक चयन में भी मुखिया की भूमिका तय की गयी है. ग्रामसभा करने के अधिकार दिये गये हैं. ग्राम स्तर पर प्रौढ़ शिक्षा के संचालन और उसे बेहतर करने, विद्यालयों में पठन-पाठन की व्यवस्था के साथ ही लोगों को स्वच्छ पानी की आपूर्ति के अधिकार उन्हें प्रदान किये गये हैं.
लोगों के घरों में शौचालय के निर्माण में भी उनकी भूमिका महत्वपूर्ण है. सामाजिक विषयों के तहत डायन प्रथा, बाल विवाह, मानव ट्रैफिकिंग, पलायन, बंधुआ मजदूर, नशा मुक्ति, खुले में शौच से मुक्त, महाजन मुक्त, कन्या भ्रूण हत्या सहित अन्य सामाजिक कुरीतियों से लोगों को बाहर निकालने की उनकी बड़ी जिम्मेदारी तय की गयी है.
ग्रामीणों को आवासीय, जाति या आय सहित जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण है. वे उक्त प्रमाण पत्रों के लिए पहचान व सत्यापित करने का काम करते हैं. उनके माध्यम से सारा कुछ आगे बढ़ता है.
Posted By: Sameer Oraon