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1984 सिख विरोधी दंगा: शासन की एक साइन का इंतजार, फिर 63 आरोपी होंगे सलाखों के पीछे

वर्ष 1984 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए दंगों के दौरान शहर में 127 सिखों की हत्या हुई थी. उस दौरान हत्या, लूट व डकैती के 40 मुकदमे दर्ज हुए थे, जिसमें से 29 मामलों में फाइनल रिपोर्ट लग गई थी.

सिख विरोधी दंगा में भूमिका निभाने वाले 63 आरोपियों की रिपोर्ट एसआईटी ने तैयार कर शासन को भेज दी है.सभी आरोपियों की सूची तैयार है.सभी का सत्यापन भी होगा गया है बस मुख्यमंत्री रिपोर्ट में एक हस्ताक्षर होना बाकी है जिसके बाद 63 आरोपी सलाखों के पीछे होंगे.वही कानपुर में दर्ज 11 मामलों में 3 मामलों में गवाहों और वादियों के बयान होना बाकी है.

Kanpur News: सिख विरोधी दंगा में भूमिका निभाने वाले 63 आरोपियों की रिपोर्ट एसआईटी ने तैयार कर शासन को भेज दी है. सभी आरोपियों की सूची तैयार है. सभी का सत्यापन भी हो गया है. बस मुख्यमंत्री रिपोर्ट में एक हस्ताक्षर होना बाकी है, जिसके बाद 63 आरोपी सलाखों के पीछे होंगे. वहीं, कानपुर में दर्ज 11 मामलों में 3 मामलों में गवाहों और वादियों के बयान होना बाकी है.

बता दें, सिख विरोधी दंगा एक बड़ा मामला था, जिसकी जांच के लिए शासन ने एसआईटी का गठन किया था. दरअसल, एसआईटी ने रिपोर्ट तो सीएम को भेज दी है, लेकिन उनकी संतुष्टि के बिना गिरफ्तारी नहीं हो सकती है.

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11 केस में 83 आरोपी चिन्हित

बताते चलें कि कानपुर में 11 मुकदमों में 83 दंगाइयों की पहचान की गई थी, लेकिन जब एसआईटी ने उनका सत्यापन किया तो उसमें से 20 लोगों की मौत होने की जानकारी हुई. बचे हुए 63 दंगाइयों का सत्यापन हो चुका है.

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एसआईटी प्रभारी बालेंदु भूषण के अनुसार, सभी मामलों में चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है. तीन मामलों में वादी और गवाहों के 164 के बयान मजिस्ट्रेट के सामने होने हैं. इससे पहले एसआईटी की एक टीम पंजाब जाकर बयान ले चुकी है. जल्द ही उन्हें मजिस्ट्रेट के सामने बुलाकर बयान दर्ज कराए जाएंगे. वहीं, उनका कहना है कि सभी मामलों में रिपोर्ट तैयार है सिर्फ तीन मामलों को छोड़कर जल्द ही उनके भी बयान कराए जाएंगे. वहीं, उन्होंने बताया कि सीएम की अनुमति के बाद आरोपियों की गिरफ्तारी की जाएगी.

क्या हुआ था 1984 में

वर्ष 1984 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए दंगों के दौरान शहर में 127 सिखों की हत्या हुई थी. उस दौरान हत्या, लूट व डकैती के 40 मुकदमे दर्ज हुए थे, जिसमें से 29 मामलों में फाइनल रिपोर्ट लग गई थी. दो वर्ष पहले शासन ने एसआइटी गठित कर इन मामलों की जांच शुरू कराई थी. बाद में एसआइटी को थाने का भी दर्जा दिया गया था. टीम ने विभिन्न जिलों व राज्यों में रह रहे पीड़ित परिवारों के पास जाकर उनके बयान भी दर्ज किए थे.

रिपोर्ट- आयुष तिवारी, कानपुर

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