इस्लामाबाद/नई दिल्ली : पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव के जरिए क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान खान को पद से बेदखल किए जाने के बाद पाकिस्तान मुस्लीम लीग- नवाज (पीएमएल-एन) के नेता शहबाज शरीफ का प्रधानमंत्री बनना तय माना जा रहा है. पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके शहबाज पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के छोटे भाई हैं और संभावना यह जाहिर की जा रही है कि सोमवार को वे पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री का पद संभाल सकते हैं. बताया जा रहा है कि शहबाज का पाकिस्तान की ताकतवर सेना के साथ मधुर संबंध हैं और इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने में उसकी भूमिका अहम है. इस बीच, अब सवाल यह भी उठने लगे हैं कि क्या शहबाज शरीफ भी पाकिस्तानी सेना के हाथ की कठपुतली बनकर रह जाएंगे?
तकरीबन 42 साल के लंबे सियासी संघर्ष के बाद शहबाज शरीफ ने पाकिस्तान में एक यथार्थवादी और स्पष्टवादी नेता की पहचान बनाई. वर्ष 1980 के दशक के मध्य में शहबाज शरीफ ने अपने बड़े भाई नवाज के साथ सियासी सफर की शुरुआत की थी. तीन बार के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के 70 वर्षीय छोटे भाई शहबाज मुल्क के सबसे ज्यादा आबादी वाले और राजनीतिक रूप से अहम पंजाब प्रांत के तीन बार मुख्यमंत्री रहे हैं. यह पहली बार है जब उनकी पार्टी पीएमएल-एन (खासकर इसके सुप्रीमो नवाज़ शरीफ) ने प्रधानमंत्री पद के लिए उनके नाम पर अपनी सहमति व्यक्त की है.
सितंबर 1951 में लाहौर में पंजाबी भाषी कश्मीरी परिवार में जन्मे शहबाज शरीफ पहली बार 1988 में पंजाब विधानसभा के सदस्य चुने गए. उस समय उनके बड़े भाई नवाज शरीफ पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री थे. इसके बाद शहबाज पहली बार 1997 में पंजाब के मुख्यमंत्री बने. उस समय उनके बड़े भाई नवाज शरीफ पाकिस्तान प्रधानमंत्री थे.
साल 1999 में जनरल परवेज मुशर्रफ ने तख्तापलट कर नवाज़ शरीफ को बर्खास्त कर दिया था. इसके बाद शहबाज अपने परिवार के साथ करीब आठ साल तक सऊदी अरब में निर्वासन में रहे और 2007 में वतन लौटे. वे 2008 में दूसरी और 2013 में तीसरी बार पंजाब के मुख्यमंत्री बने. शहबाज ने दावा किया है कि सैन्य तानाशाह जनरल परवेज मुशर्रफ ने उन्हें प्रधानमंत्री पद की पेशकश की थी. उन्होंने शर्त रखी थी कि वह अपने बड़े भाई नवाज को छोड़ दें, लेकिन उन्होंने इसके लिए साफ इनकार कर दिया था.
पनामा पेपर्स मामले में 2017 में प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को पद से अयोग्य घोषित किए जाने के बाद शहबाज शरीफ को पीएमएल-एन का अध्यक्ष नियुक्त किया गया. इसके बाद 2018 के चुनावों के बाद वह नेशनल असेंबली में विपक्ष के नेता बने. सितंबर 2020 में शहबाज़ को भ्रष्टाचार विरोधी निकाय (राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो) ने मनी लॉन्ड्रिंग और आय से अधिक संपत्ति के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था. हालांकि ये आरोप इमरान खान की सरकार ने उन पर लगाए थे. शहबाज ने आरोपों से इनकार किया और वह कई महीनों तक जेल में रहे. बाद में उन्हें जमानत मिली.
फिलहाल, शहबाज शरीफ ब्रिटेन में पाकिस्तान की संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) द्वारा उनके खिलाफ लाए गए 14 अरब पाकिस्तानी रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग मामले का सामना कर रहे हैं. वह इस मामले में भी जमानत पर हैं. नवाज की बेटी और पीएमएल-एन की उपाध्यक्ष मरियम नवाज ने कहा है कि उनके चाचा एक ऐसे शख्स हैं, जिन्होंने निस्वार्थ और अथक रूप से मुल्क की खिदमत की है.
हालांकि कहा जाता है कि नवाज शरीफ चाहते हैं कि उनकी बेटी मरियम प्रधानमंत्री बने, लेकिन उन्हें एवेनफील्ड भ्रष्टाचार मामले में दोषी ठहराया गया है. इस वजह से नवाज के पास शहबाज को अपनी पार्टी से शीर्ष कार्यकारी पद के लिए नामित करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था. जब तीन बार के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने बर्खास्त कर दिया था, तो उन्होंने प्रधानमंत्री पद के शेष 10 महीने के कार्यकाल के लिए अपने छोटे भाई शहबाज के बजाय पार्टी के नेता शाहिद खाकान अब्बासी को तरजीह दी थी.
पाकिस्तान के राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें, तो शहबाज शरीफ के पाकिस्तान की ताकतवर फौज के साथ संबंध बेहद मधुर हैं. पाकिस्तान के 75 साल के इतिहास में आधे से अधिक वक्त तक मुल्क पर फौज ने हुकूमत की है और सेना अब भी सुरक्षा और विदेश नीति के मामलों में अपना काफी दखल रखती है. हालांकि, शनिवार-रविवार की दरम्यानी रात को प्रधानमंत्री पद से हटाए गए इमरान खान के भी सेना के साथ संबंध अच्छे ही थे, लेकिन ऐन वक्त पर सेना ने उनका साथ नहीं दिया और नेशनल असेंबली में इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने में उसकी भूमिका अहम मानी जा रही है.
पाकिस्तान के संभावित नए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के पिता मुहम्मद शरीफ एक उद्योगपति थे. वे कारोबार के लिए कश्मीर के अनंतनाग से पाकिस्तान गए थे और 20वीं शताब्दी की शुरुआत में पंजाब के अमृतसर जिले के जट्टी उमरा गांव में बस गए थे. उनकी मां का परिवार पुलवामा से आया था. विभाजन के बाद शहबाजका परिवार अमृतसर से लाहौर चला गया, जहां उन्होंने (लाहौर के बाहरी इलाके में रायविंड में स्थित) अपने घर का नाम ‘जट्टी उमरा’ रखा.
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शहबाज शरीफ ने लाहौर के गवर्नमेंट कॉलेज यूनिवर्सिटी से स्नातक की. शहबाज ने पांच शादियां कीं. फिलहाल, उनकी दो पत्नियां (नुसरत और तहमीना दुर्रानी) हैं, जबकि उन्होंने तीन (आलिया हानी, नीलोफर खोजा और कुलसुम) को तलाक दे दिया. नुसरत से उनके दो बेटे और तीन बेटियां और आलिया से एक बेटी है. उनके बड़े बेटे हमजा शहबाज़ पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं. हमजा पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ गठबंधन के उम्मीदवार परवेज इलाही के खिलाफ मुख्यमंत्री पद का चुनाव भी लड़ रहे हैं. उनका छोटा बेटा सुलेमान शहबाज परिवार का कारोबार देखता है. वह मनी लॉन्ड्रिंग और आय से अधिक संपत्ति के मामले में फरार है और पिछले कुछ साल ब्रिटेन में है.