सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, जस्टिस एनवी रमना ने शुक्रवार को कहा कि न्यायाधीशों को बदनाम करने का सरकार ने एक नया चलन शुरू किया है. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जस्टिस एनवी रमणा ने इसे ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ करार दिया है. हिन्दुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस रमणा ने कहा कि, आजकल सरकार द्वारा न्यायाधीशों को बदनाम करने का एक नया ट्रेंड शुरू हुआ है. जस्टिस रमना ने छत्तीसगढ़ सरकार और एक कार्यकर्ता के दायर दो अलग-अलग अपीलों पर सुनवाई करते हुए यह बात कही.
दरअसल, शुक्रवार को न्यायमूर्ति मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ छत्तीसगढ़ के पूर्व प्रधान सचिव अमन सिंह और उनकी पत्नी यास्मीन सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के एक आदेश के खिलाफ अपील की सुनवाई कर रही थी. इस दौरान चीफ जस्टिस ने सरकारों की प्रवृत्तियों पर टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि, आजकल आए दिन सरकारें जजों की छवि धूमिल करने का काम करती रहती हैं. उन्होंने कहा कि ये दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है.
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, छत्तीसगढ़ पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने फरवरी 2020 को उचित शर्मा की शिकायत के आधार पर एक प्राथमिकी दर्ज की थी. अपनी प्रथमिकी में उचित ने पूर्व प्रधान सचिव अमन सिंह और उनकी पत्नी पर आय से अधिक संपत्ति की जांच की मांग की थी.
हाईकोर्ट ने रद्द कर दी थी प्रथमिकी: हालांकि, प्राथमिकी को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था. छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने कहा था कि मामला संभावनाओं पर आधारित है और संभावना के आधार पर किसी व्यक्ति पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है. हाईकोर्ट ने यह भी कहा था कि, सरकार अपने मामले को साबित करने के लिए दस्तावेज दाखिल करने में विफल रही है.
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार पर टिप्पणी करने के बाद सीजेआई ने सुनवाई 18 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी.