रांची: हाइकोर्ट ने शुक्रवार को राज्य सरकार से जानना चाहा कि वर्ष 2016 मे डोभा और सरकारी तालाबों के जीर्णोंद्धार के लिए 336 करोड़ रुपये दिये गये थे. वह राशि कहां खर्च की गयी. कितने डोभा व तालाबों का जीर्णोंद्धार किया गया.
हाइकोर्ट ने डोभा घोटाले में दायर पीआइएल पर सुनवाई करते हुए पुलिस की कार्यशैली पर नाराजगी जतायी. चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस सुजीत नारायण की खंडपीठ ने कहा कि वर्ष 2016 में डोभा निर्माण में गड़बड़ी को लेकर प्राथमिकी दर्ज हुई थी, तो चार वर्ष बाद भी अब तक अनुसंधान क्यों नहीं पूरा किया गया.
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चार साल से पुलिस क्या सो रही थी, जो अनुसंधान पूरा नहीं हो पाया. सुनवाई में वर्चुअल उपस्थित डीजीपी से खंडपीठ ने पूछा कि मामले का अनुसंधान चार-चार वर्ष तक चलेगा, तो राज्य की पुलिसिंग के बारे में क्या कहा जायेगा. पुलिसिंग का यह मतलब नहीं है कि वह वीआइपी के आगे-पीछे करे. ऐसा लगता है कि झारखंड में सब कुछ ठीक नहीं है. पूरे मामले की सीबीआइ से जांच करायी जा सकती है.
Posted By: Sameer Oraon