भोपाल: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (Madhya Pradesh High Court) ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए एमपी-पीएससी 2019 (MP-PSC 2019) की प्रारंभिक परीक्षा के रिजल्ट को रद्द कर दिया है. एमपी-पीएससी और राज्य सरकार की ओर से परीक्षा परिणाम जारी करने के फैसले को जबलपुर हाईकोर्ट (Jabalpur High Court) में चुनौती दी थी. हाईकोर्ट ने कहा है कि वर्ष 2015 के पुराने नियमों के तहत फिर से रिजल्ट जारी किया जाये, जिसमें आरक्षित वर्ग के प्रतिभावान अभ्यर्थियों को सामान्य श्रेणी में शामिल किया जा सकता है.
याचिकाकर्ता की दलील को किया स्वीकार
जस्टिस सुजय पॉल और जस्टिस डीडी बंसल की बेंच में इस मामले की सुनवाई कुछ दिनों पहले ही पूरी हो गयी थी. कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था. गुरुवार को कोर्ट ने जो फैसला दिया, उसमें याचिकाकर्ताओं की दलीलों स्वीकार कर लिया. याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि एमपी-पीएससी ने विवादित नियमों के तहत परीक्षा के रिजल्ट जारी किये थे.
2017 में लागू किया गया संशोधित नियम
मध्यप्रदेश की सरकार ने 17 फरवरी 2020 को संशोधित नियम लागू किया, जिसमेंआरक्षित वर्ग के छात्रों को सामान्य श्रेणी में शामिल करने पर रोक लगा दी थी. इसके बाद दाखिल की गयी कई याचिकाओं में आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 4(4) के संशोधित अधिनियम को चुनौती दी गयी. सरकार ने हाईकोर्ट में कहा था कि वह विवादित नियम को वापस ले लेगी. इसके बाद ही परीक्षा परिणाम जारी करने की अनुमति दी गयी. लेकिन, सरकार ने नियम वापस नहीं लिये और 31 दिसंबर 2021 को MP-PSC 2019 प्रारंभिक परीक्षा के परिणाम उसी नियम के तहत जारी कर दिये.
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सरकार ने कोर्ट में झूठ बोला
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि वर्ष 2019 पीएससी मुख्य परीक्षा के रिजल्ट जारी कर दिये. उसने कोर्ट में जो वादा किया था, उस पर अमल नहीं किया. विवादित नियमों के तहत परीक्षा के परिणाम जारी किये गये. ये रिजल्ट 31 दिसंबर 2021 को जारी किये गये थे. एमपी-पीएससी 2019 के चयनित अभ्यर्थियों को इंटरव्यू के लिए बुलाया जाने लगा है. इसका सीधा अर्थ है कि कोर्ट में सरकार ने झूठ बोला और अभ्यर्थियों को कोई राहत नहीं दी. विवादित कानून को वापस नहीं लिया.
Posted By: Mithilesh Jha