बेतिया. रिमांड होम की सच्चाई बतानेवाले थानेदार पर सरकार ने सख्त कार्रवाई की है. बेतिया के बैरिया थानाध्यक्ष का दुष्यंत कुमार को एसपी उपेन्द्र नाथ वर्मा ने तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है. दरअसल दुष्यंत कुमार ने पिछले दिनों प्रेम प्रसंग के एक मामले की सुनवाई करते हुए परिजनों को रिमांड होम की हकीकत से रू-ब-रू कराने का काम किया था. रिमांड होम को लेकर थानेदार का बयान सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ. वायरल ऑडियो एसपी उपेन्द्र नाथ वर्मा तक पहुंचा. विभागीय जांच के बाद मंगलवार को यह कार्रवाई की गयी है. महिला रिमांड होम की हकीकत बताने वाले थानाध्यक्ष दुष्यंत कुमार सस्पेंड कर दिये गये हैं. उनपर कार्य में लापरवाही और अनुशासनहीनता का गंभीर आरोप लगाया गया है.
वायरल ऑडियो के संबंध में बताया जाता है कि पिछले दिनों एक प्रेम प्रसंग का मामला थाने में पहुंचा था. थाने के चौकीदार का बेटा एक लड़की के साथ घर से भाग गया था. लड़की के परिजनों ने थाने में इसकी शिकायत दर्ज करायी. शिकायत दर्ज होने के बाद पुलिस ने छापेमारी कर लड़की को बरामद कर लिया, लेकिन लड़का फरार चल रहा था. बिना लड़के पर प्राथमिकी दर्ज कराये बरामद लड़की को घर ले जाने से उसके परिजन इनकार कर रहे थे. ऐसे में थानाध्यक्ष ने लड़की के परिजनों को कानूनी कार्रवाई समझाने की कोशिश की.
वायरल ऑडियो में साफ-साफ सुना जा सकता है कि बैरिया थानाध्यक्ष पीड़िता के परिजनों को यह बता रहे हैं कि रिमांड होम में लड़कियों के साथ अनैतिक काम होता है. परिजनों को समझाते हुए थानाध्यक्ष ने कहते हैं कि यदि बच्ची को साथ नहीं ले गये तब उसे रिमांड होम भेज दिया जाएगा और रिमांड होम में क्या-क्या होता है, यह किसी से छिपा हुआ नहीं है. रिमांड होम गंदा जगह है. पेपर में नहीं पढ़ते हो क्या. समाचार नहीं देखते हो क्या. मुजफ्फरपुर और बेतिया में क्या कुछ हुआ पता भी है तुम्हें. हम नहीं चाहते है कि किसी की बेटी रिमांड होम में जाए. लड़का तो दोषी है ही, वह जेल जाएगा और लड़की भी रिमांड होम चली जाएगी. रिमांड होम जाने के बाद लड़की से कोई बियाह भी नहीं करेगा.
इस वायरल हो रहे ऑडियो की जांच का जिम्मा एसपी उपेंद्र नाथ वर्मा ने सदर एसडीपीओ को दिया. जांच के दौरान एसडीपीओ ने मामला सही पाया, जिसके बाद थानाध्यक्ष पर एसपी ने कार्रवाई की है. बैरिया थानाध्यक्ष दुष्यंत कुमार को निलंबित किया गया है. एसपी उपेन्द्र नाथ वर्मा ने बताया कि थानाध्यक्ष द्वारा अमर्यादित टिप्पणी की गयी थी. एसडीपीओ सदर ने मामले की छानबीन की तब यह मामला अनुशासनहीनता और लापरवाही का पाया गया. जिसके बाद उन्हें निलंबित किया गया है.