20.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Sarhul 2022: रांची में कैसे हुई थी सरहुल शोभायात्रा की शुरुआत, हातमा सरना स्थल पर कैसे होने लगी पूजा

Sarhul 2022: आदिवासी छात्रावास के छात्रों की टोली मांदर की थाप पर नाचते-गाते हुए करमटोली के करीब 100 प्रबुद्ध लोगों के साथ करम टोली से सिरम टोली सरना स्थल तक पहुंची. इस तरह 1961 में सरहुल का पहला जुलूस निकाला गया.

Sarhul 2022: रांची में सरहुल शोभायात्रा की शुरुआत 1961 में हुई थी. इसका उद्देश्य सिरम टोली के सरना स्थल को बचाना था. उस वर्ष सिरोमटोली गांव के सरना स्थल की जमीन को गांव के कुछ लोगों ने रामगढ़ के एक मोटर गैराज कारोबारी सरदार के हाथों बेच दिया था. ऐसे में सरना स्थल की जमीन को बचाने के लिए सिरम टोली के लोगों ने करम टोली के लोगों से संपर्क किया था. इस तरह करीब 100 प्रबुद्ध लोगों के साथ करम टोली से सिरम टोली तक शोभायात्रा निकाली गयी थी. इसके बाद रांची कॉलेज के पीछे स्थित हातमा सरना स्थल पर सरहुल पूजा की शुरुआत की गयी. ये जानकारी बीआइटी मेसरा के प्रबंधन विभाग के प्राध्यापक प्रोफेसर डॉ रवींद्र भगत ने दी.

जुलूस के जरिए शक्ति प्रदर्शन

पूर्व शिक्षा मंत्री स्व करमचंद भगत के पुत्र एवं बीआइटी मेसरा के प्रबंधन विभाग के प्राध्यापक प्रोफेसर डॉ रवींद्र भगत ने बताया कि सिरम टोली के सरना स्थल की जमीन को बचाने के लिए निर्णय लिया गया कि इस मामले में आदिवासी छात्रावास के छात्रों को भी शामिल किया जाए. उस समय करमचंद भगत आदिवासी छात्रावास में रहते थे और उसी वर्ष यानी 1961 में वे रांची कॉलेज के छात्र संघ के उपाध्यक्ष निर्वाचित हुए थे. इस दौरान निर्णय लिया गया कि करम टोली से जुलूस के साथ सिरम टोली जाकर वहां शक्ति प्रदर्शन किया जायेगा. इसके लिए सरहुल पूजा का दिन निर्धारित किया गया था.

Also Read: Ram Navami 2022: रामनवमी में रिकॉर्डेड म्यूजिक व डीजे पर रोक, आपत्तिजनक वीडियो वायरल करना पड़ेगा महंगा

कार्तिक उरांव को भी जुलूस के लिए आमंत्रण

डॉ रवींद्र भगत बताते हैं कि जुलूस के जरिए शक्ति प्रदर्शन के लिए प्रभावशाली लोगों के समर्थन की जिम्मेदारी करमचंद भगत को दी गयी थी. इसी बीच तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के बुलावे पर कार्तिक उरांव लंदन से लौटे थे और उनकी नियुक्ति एचइसी में डिप्टी चीफ इंजीनियर के पद पर हुई थी. इस दौरान करमचंद भगत के नेतृत्व में छात्रों ने कार्तिक उरांव को भी जुलूस में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था.

Also Read: Jharkhand Crime News: झारखंड में मिनी गन फैक्ट्री का खुलासा, कोलकाता STF ने महिला समेत 6 को किया अरेस्ट

जब निकला सरहुल का पहला जुलूस

बीआइटी मेसरा के प्रबंधन विभाग के प्राध्यापक प्रोफेसर डॉ रवींद्र भगत बताते हैं कि उस दिन करमचंद भगत के नेतृत्व में करमटोली के शशि भूषण मानकी के आवास के निकट स्थित सखुआ पेड़ के पास लोग जुटे और सरहुल पूजा करने के बाद कार्तिक उरांव को बैलगाड़ी में बैठाया गया था और जुलूस निकाला गया था. आदिवासी छात्रावास के छात्रों की टोली मांदर की थाप पर नाचते-गाते हुए करमटोली के करीब 100 प्रबुद्ध लोगों के साथ करम टोली से सिरम टोली सरना स्थल तक पहुंची. इस तरह सरहुल का पहला जुलूस निकाला गया.

Also Read: Jharkhand News: रांची से कोलकाता जाने वाली इंडिगो की फ्लाइट में आई तकनीकी खराबी, टला बड़ा हादसा

सरना स्थल पर होने लगी पूजा

प्रोफेसर डॉ रवींद्र भगत कहते हैं कि सामाजिक परंपरा के अनुसार सरहुल की पूजा गांव के सरना स्थल पर की जाती है और करम टोली गांव का मुख्य सरना स्थल रांची कॉलेज के पीछे हातमा में स्थित है. इसलिए सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि सरहुल की पूजा हातमा सरना स्थल में ही होनी चाहिए. फिर 1964 से हातमा सरना स्थल पर पूजा की शुरुआत हुई और वहीं से शोभायात्रा निकाली जाने लगी. 1967 में जिला प्रशासन ने शोभायात्रा के लिए पांच जीप मुहैया करायी. करीब 100 लोगों के साथ शुरू हुआ जुलूस वक्त के साथ विशाल रूप लेता गया.

Posted By : Guru Swarup Mishra

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें