Happy Gudi Padwa 2022: हिंदू नववर्ष का प्रारंभ चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी आज से हो चुकी है. चैत्र नवरात्रि के साथ-साथ गुड़ी पड़वा का त्योहार भी बेहद ही धूम-धाम से मनाया जा रहा है.
प्रतिपदा तिथि प्रारंभ- 1 अप्रैल, शुक्रवार सुबह 11 बजकर 53 मिनट से शुरू
प्रतिपदा तिथि समाप्त- 2 अप्रैल, शनिवार को रात 11 बजकर 58 मिनट तक
मान्यता है कि गुड़ी पड़वा से ही ब्रह्मा जी द्वारा सृष्टि की रचना हुई थी. वहीं इसी दिन से सतयुग की शुरुआत भी हुई थी. यदि कोी व्यक्ति गुड़ी पड़वा के दिन अपने घर के बाहर आम के पत्तों की तोरण लगाए तो बेहद ही शुभ मानते हैं. वहीं इस दिन मां दुर्गा और श्री राम भगवान की विधि-विधान से पूजा की जाती है. इससे अलग कहा जाता है कि गुड़ी पड़वा के दिन खाली पेट पूरन पोली का सेवन करना चाहिए ऐसा करने से चर्म रोग की समस्या दूर हो सकती है.
दक्षिण भारत में गुड़ी पड़वा का त्यौहार काफी लोकप्रिय है. पौराणिक मान्यता के मुताबिक सतयुग में दक्षिण भारत में राजा बालि का शासन था. जब भगवान श्री राम को पता चला की लंकापति रावण ने माता सीता का हरण कर लिया है तो उनकी तलाश करते हुए जब वे दक्षिण भारत पहुंचे तो यहां उनकी उनकी मुलाकात सुग्रीव से हुई. सुग्रीव ने श्रीराम को बालि के कुशासन से अवगत करवाते हुए उनकी सहायता करने में अपनी असमर्थता जाहिर की. इसके बाद भगवान श्री राम ने बालि का वध कर दक्षिण भारत के लोगों को उसके आतंक से मुक्त करवाया. मान्यता है कि वह दिन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का था. इसी कारण इस दिन गुड़ी यानि विजय पताका फहराई जाती है.
गुड़ी पड़वा के दिन पताका लगाना काफी शुभ माना जाता है. गुड़ी का अर्थ होता है विजय पताका. पताका को जीत का प्रतीक माना जाता है. इसलिए इस दिन पूजा के समय पताका लगाना शुभ होता है. गुड़ी पड़वा के दिन पांच हाथ ऊंचे झड़ में सवा दो हाथ की लाल रंग की ध्वजा ठीक ढंग से बांध दें और घर की दक्षिण-पूर्व दिशा यानी अग्नि कोण में लगा दें. ध्वज लगाने से घर में सुख-समृद्धि के साथ ग्रहों पर शुभ प्रभाव पड़ेगा, साथ ही वास्तु दोष से छुटकारा मिलेगा.