पटना. बिहार से बाहर काम करने वाले दिहाड़ी व अन्य तरह के मजदूरों की पहचान करने के लिए श्रम संसाधन विभाग सॉफ्टवेयर के माध्यम से डेटा तैयार करेगा. जिसके बाद दूसरे राज्यों में काम करने वालों को खोजना बेहद आसान हो जायेगा. विभाग के मुताबिक कोरोना काल में 16 लाख मजदूर विभिन्न राज्यों से घर वापस लौटे थे. जिसके बाद उन्हें उनके गांव के पास स्कूल या सरकारी भवनों में रखा गया था, जहां कोरेंटाइन रहने के दौरान मजदूरों को उनके स्किल के मुताबिक प्रशिक्षण दिया गया था, ताकि उन्हें रोजगार व स्वरोजगार से भी जोड़ा जा सकें. इससे दूसरों राज्यों में काम करने वाले मजदूरों को ट्रैक करने में किसी भी तरह की परेशानी नहीं होगी.
कोरोना काल में लौटे इन सभी मजदूरों का नाम, पता और उनके स्किल को नये सॉफ्टवेयर में अपलोड किया जायेगा. इसके बाद उनके माध्यम से दिये गये कांटेक्ट नंबरों पर फोन कर यह सूचना लिया जायेगा कि अभी वह मजदूर तत्काल कहां काम कर रहा है. इस सूचना के आधार पर उनके डेटा में कुछ बदलाव करना होगा, तो वह किया जायेगा. जिससे विभाग के पास उस मजदूर की पूरी जानकारी रहेगी.
विभाग की ओर से एक स्थायी कॉल सेंटर भी बनाया जा रहा है. जहां कभी भी कोई मजदूर फोन कर सकता है. यह सेंटर 24 घंटे सातों दिन काम करेगा. इस कॉल सेंटर के भीतर में मजदूरों से जुड़े सभी मामलों का समाधान किया जायेगा. कॉल सेंटर में शिकायत मिलते ही उस मामले की जानकारी संबंधित विभाग को दिया जायेगा.
श्रम संसाधन विभाग के मंत्री जीवेश कुमार ने कहा कि दूसरे राज्यों में काम करने वाले मजदूरों की ट्रैकिंग करने में परेशानी नहीं हो.इसको लेकर सॉफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है. इसके बाद मजदूरों के स्किल का डेटा और बिहार से बाहर कहां काम कर रहे हैं. इसकी पूरी जानकारी विभाग के पास रहेगा.