चंडीगढ़ : पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने शुक्रवार को राज्य की विधानसभा में केंद्र सरकार के खिलाफ एक प्रस्ताव पेश किया है. उन्होंने विधानसभा में पेश प्रस्ताव में केंद्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ को तत्काल पंजाब को हस्तांतरित करने की मांग की है. विधानसभा में प्रस्ताव पेश करते समय मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने कहा कि उन्होंने कहा कि पहले भी सदन ने केंद्र सरकार से चंडीगढ़ को पंजाब को हस्तांतरित करने का अनुरोध करते हुए कई प्रस्ताव पारित किए हैं.
विधानसभा की पटल पर मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की ओर से रखे गए प्रस्ताव के अनुसार, सौहार्द बनाए रखने और लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए यह सदन एक बार फिर चंडीगढ़ को तत्काल पंजाब को हस्तांतरित करने के मामले को केंद्र सरकार के समक्ष उठाने की सिफारिश करता है. विधानसभा का यह एक दिवसीय विशेष सत्र तब आयोजित किया गया है, जब कुछ दिनों पहले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने एलान किया कि केंद्रीय सेवा नियम केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के कर्मचारियों पर भी लागू होंगे.
बताते चलें कि केंद्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ पंजाब और हरियाणा की संयुक्त राजधानी है. इससे पहले, सत्र शुरू होने के बाद कांग्रेस विधायक राणा गुरजीत सिंह और उनके बेटे एवं निर्दलीय विधायक राणा इंदर प्रताप सिंह ने पद की शपथ ली. विधानसभा के इस एक दिवसीय सत्र में वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के प्रस्ताव का समर्थन किया. सीएम मान ने चंडीगढ़ और बीबीएमबी में पूर्व की स्थिति बहाल करने संबंधी प्रस्ताव पेश किया है और केंद्र सरकार के सामने चंडीगढ़ को पंजाब को देने का प्रस्ताव रखा है. शिअद विधायक मनप्रीत सिंह अयाली ने प्रस्ताव पर राज्य सरकार का समर्थन किया.
मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने कहा कि चंडीगढ़ में केंद्रीय सेवा नियमों को लागू करना पंजाब पुनर्गठन अधिनियम का उल्लंघन है. पंजाब पुनर्गठन एक्ट के तहत चंडीगढ़ को केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया था. उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ में केंद्र ने बाहर के अधिकारियों को तैनात किया है. इससे पहले, भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (बीबीएमबी) में भी फेरबदल किया. पहले बोर्ड के पद पंजाब से भरे जाते थे, मगर इसे खत्म कर दिया है. अब पूरे देश से भरे जा सकते हैं. इसके बाद चंडीगढ़ में केंद्रीय सेवा नियमों को लागू कर दिया है.