Pariksha Pe Charcha 2022: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज छात्रों, शिक्षकों के साथ दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम से परीक्षा पे चर्चा की. उन्होंने छात्रों के साथ सीधे संवाद में परीक्षा के दौरान तनाव को दूर रखने के साथ ही जीवन में बेहतर करने का गुरु मंत्र दिया. पीएम ने छात्रों के साथ नई शिक्षा नीति, स्मरण शक्ति, परीक्षा के दबाव और खुद की कमियों के बारे में पता लगाने जैसे बिंदुओं पर बात की. पढ़ें पीएम मोदी के चर्चा की खास बातें.
पीएम मोदी ने कहा कि परीक्षा जीवन का सहज हिस्सा है. हमारी विकास यात्रा के ये छोटे-छोटे पड़ाव हैं. इस पड़ाव से पहले भी हम गुजर चुके हैं. पहले भी हम कई बार परीक्षा दे चुके हैं. फिर अब डर कैसा. आने वाली परीक्षा के लिए पहले के अनुभव को अपनी ताकत बनाएं.
पीएम मोदी ने छात्रों से कहा परीक्षा को लेकर आपके मन में जो पैनिक होता है, उसके लिए मेरा आपसे आग्रह है कि आप किसी दबाव में मत रहिए. जितनी सहज दिनचर्या आपकी रहती है, उसी सहज दिनचर्या में आप अपने आने वाले परीक्षा के समय को भी बिताइए. सबकुछ आसान हो जाएगा.
प्रधानमंत्री ने कहा कि माध्यम समस्या नहीं, समस्या मन की है. आप पढ़ाई कर रहे लेकिन मन कहीं और है तो सुनना ही बंद हो जाता है. जो चीजें ऑफलाइन होती हैं. माध्यम ऑनलाइन हो या ऑफलाइन, अगर मन पूरा उसमें डूबा हुआ है, तो आप ऑनलाइन पढ़ रहे या ऑफलाइन इस बात का कोई फर्क नहीं पड़ेगा
पीएम मोदी ने ऑनलाइन और ऑफलाइन के बारे में कहा कि ऑनलाइन पाने के लिए है और ऑफलाइन बनने के लिए है. मुझे कितना ज्ञान अर्जित करना है मैं अपने मोबाइल फोन पर ले आऊंगा, जो मैंने वहां पाया है ऑफलाइन में मैं उसे पनपने का अवसर दूंगा. ऑनलाइन का अपना आधार मजबूत करने के लिए उपयोग करें और ऑफलाइन में जाकर उसे साकार करना है.
पीएम मोदी ने परीक्षा पे चर्चा के दौरान छात्रों के साथ ही शिक्षकों और माता पिता को सलाह दी. उन्होंने कहा कि माता-पिता, शिक्षकों को अपने स्वयं के सपनों, अधूरी आकांक्षाओं को बच्चों पर नहीं थोपना चाहिए. बच्चों पर अपनी आंकाक्षाओं का बोझ ना डालें. इससे बच्चे बिना किसी दबाव के आगे बढ़ेंगे.
NEP के प्रश्न पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सरकार कुछ भी करे तो कहीं न कहीं से तो विरोध का स्वर उठता ही है. लेकिन मेरे लिए खुशी की बात है कि नेशनल एजुकेशन पॉलिसी का देश के हर तबके में पुरजोर स्वागत हुआ है.
पीएम मोदी ने कहा, क्या हम 20वीं सदी की सोच, नीति, व्यवस्था से 21वीं सदी में आगे बढ़ सकते हैं? हमें 21वीं सदी के अनुकूल अपनी सारी नीतियों, व्यवस्थाओं को ढालना चाहिए. अगर हम अपने आपको विकसित नहीं करेंगे तो हम ठहर जाएंगे और पिछड़ जाएंगे.
पीएम मोदी ने कहा कि कोई यह सोचता हो कि मोटिवेशन का कोई इंजेक्शन मिलता हो और हम वह इंजेक्शन लगवा दें तो मोटिवेशन मिल जाएगी तो यह बहुत बड़ी गलती होगी. आप खुद को गौर करें कि वो कौन सी बात है जिससे आप डीमोटिवेट हो जाते हैं आप अपने आप को परखें फिर आप यह कोशिश करें कि वे कौन सी बातें हैं जो आपको सहज रूप से मोटिवेट करती है. आप देखेंगे कि आप अचानक अलग तरीके से सोचना शुरू करने लगेंगे. अपना एनालिसस जरूर करें, दूसरों की मदद के चक्कर में पड़ें. अपनी निराशा,हताशा का उपाय खुद निकालें.
प्रधानमंत्री ने छात्रों से कहा कि जितना आइपैड, मोबाइल फोन के अंदर घुसने में आनंद आता है, उससे हज़ार गुना आनंद अपने भीतर घुसने का होता है. दिन भर में कुछ पल ऐसे निकालिए, जब आप ऑनलाइन भी नहीं होंगे, ऑफलाइन भी नहीं होंगे बल्कि इनरलाइन होंगे. जितना अपने अंदर जाएंगे, आप अपनी ऊर्जा को अनुभव करेंगे.
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब आप ऑनलाइन पढ़ाई करते हैं तो क्या आप सच में पढ़ाई करते हैं या रील देखते हैं? कभी सोचा है. दोष ऑनलाइन या ऑफलाइन का नहीं है. क्लास में भी कई बार आपका शरीर क्लास में होगा, आपकी आंखें टीचर की तरफ होती हैं लेकिन कान में एक भी बात नहीं जाती क्योंकि आपका दिमाग कहीं और होता है. इसलिए वर्तमान में आप जो कर रहे हमेशा ध्यान वहीं लगाएं. रील में नहीं रियल में पढ़ें.