चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 के अंत में बिहार के नाम एक नया रिकॉर्ड दर्ज हुआ. कुल बजट आकार का पहली बार दो लाख करोड़ से ज्यादा की राशि खर्च की गयी. चालू वित्तीय वर्ष का बजट दो लाख 18 हजार करोड़ रुपये का था, जिसमें दो लाख एक हजार करोड़ रुपये खर्च किये गये. इसमें पेंशन, वेतन समेत अन्य सभी स्थापना एवं प्रतिबद्ध मद में एक लाख 17 हजार करोड़ तथा योजना मद में साढ़े 84 हजार करोड़ रुपये खर्च हुए हैं, जो अब तक का सर्वाधिक है.
इसके साथ ही बिहार देश के उन पांच राज्यों की श्रेणी में शामिल हो गया है, जिसने दो लाख करोड़ से ज्यादा का बजट खर्च किया है. इसमें तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक शामिल हैं. इस बारे में डिप्टी सीएम सह वित्त मंत्री तारकिशोर प्रसाद ने मुख्य सचिवालय स्थित अपने कार्यालय कक्ष में जानकारी दी.
इस मौके पर डिप्टी सीएम सह वित्त मंत्री ने दिल्ली के वित्त मंत्रालय की तर्ज पर यहां भी लड्डू सेरेमनी का आयोजन किया गया. विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ एस सिद्धार्थ, सचिव (व्यय) धर्मेंद्र कुमार सिंह, संजीव मित्तल, बीके तिवारी, अजय कुमार ठाकुर आदि ने विभागीय मंत्री समेत सभी को लड्डू खिलाया और बधाई दी. कोरोना संकट के बावजूद राज्य की वित्तीय स्थिति काफी प्रभावित हुई थी. फिर भी राज्य के कुशल वित्तीय प्रबंधन की वजह से टैक्स संग्रह और खर्च की स्थिति बेहद अच्छी रही.
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पिछले वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान दो लाख 11 हजार करोड़ रुपये का बजट आकार रखा गया था, जिसमें एक लाख 66 हजार करोड़ रुपये खर्च हुए थे. पिछली बार की तुलना में इस बार 21 फीसदी राशि अधिक खर्च हुई है. इस मौके पर डिप्टी सीएम ने बताया कि 2004-05 का बजट आकार 23 हजार 885 करोड़ था, जिसमें सिर्फ 20 हजार 58 करोड़ रुपये ही खर्च हुए थे. वहीं, पांच वित्तीय वर्ष में ही बजट व्यय बढ़ कर 50 हजार करोड़ रुपये हो गया.
इस बार वित्तीय वर्ष के अंतिम दिन (31 मार्च) ट्रेजरी दोपहर को ही बंद कर दी गयी थी. वित्त विभाग ने नवंबर 2020 से ही सभी विभागों को सख्त निर्देश जारी कर रखा था कि सामान्य खर्च से जुड़े सभी तरह के बिल 17 मार्च तक ही स्वीकृत किये जायेंगे.
योजना से जुड़े सभी बिल को 20 मार्च तक हर हाल में खजाने में जमा कराने का निर्देश जारी किया गया था और इसका पालन वित्त विभाग ने पूरी सख्ती के साथ किया.सभी ठेकेदारों के बकाये का पेमेंट ट्रेजरी से कर दिया गया. साथ ही पिछले वित्तीय वर्ष तक केंद्र सरकार से मार्च अंत तक राशि आती थी, जिसे इस बार राज्य ने पहले ही मंगवा लिया था. इन तमाम कारणों से बजट खर्च के साथ बजट प्रबंधन भी अच्छा रहा.
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शिक्षा- 33517 करोड़ रुपये
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ग्रामीण विकास विभाग-13586 करोड़ रुपये
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स्वास्थ्य-11285 करोड़ रुपये
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गृह-10795 करोड़ रुपये
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ऊर्जा-10506 करोड़ रुपये
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समाज कल्याण विभाग-8986 करोड़ रुपये
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पंचायती राज विभाग-8099 करोड़ रुपये
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नगर विकास एवं आवास विभाग-6890 करोड़ रुपये
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ग्रामीण कार्य विभाग-5916 करोड़ रुपये
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पथ निर्माण विभाग-5780 करोड़ रुपये
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जल संसाधन विभाग-4869 करोड़ रुपये
POSTED BY: Thakur Shaktilochan