Sleep Deficit: तनाव को दूर करने, अपने मस्तिष्क को स्वस्थ और फुर्तीला रखने और यहां तक कि अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का सबसे अच्छा तरीका है कि 7-8 घंटे की अनिवार्य नींद अनिवार्य रूप से लेना. फिर भी, हम में से कई लोग अच्छी नींद के लिए जरूरी डेली रूटीन तय नहीं करते हैं. अध्ययनों से पता चलता है कि 30 मिनट की नींद में भी देरी से एकाग्रता में कठिनाई, स्वास्थ्य संबंधी और व्यवहार संबंधी समस्याओं जैसे प्रतिकूल परिणाम हो सकते हैं.
कभी-कभी, लोग अपनी नींद की क्वालिटी पर ध्यान नहीं देते हैं और साथ ही वे विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं से नींद के संबंध को नहीं समझ पाते हैं जिनका वे सामना कर रहे होते हैं. थकान, चिड़चिड़ापन, मूड में बदलाव, ध्यान केंद्रित करने और याद रखने में कठिनाई जैसे नींद की कमी के अलर्ट साइन को एक्सपर्ट नजरअंदाज न करने की सलाह देते हैं.
यदि आपको आजकल ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई हो रही है और निर्णय लेने में परेशानी हो रही है, तो आपको इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि आप कितना सो रहे हैं. साथ ही एक अध्ययन में पाया गया है कि नींद से संबंधित दुर्घटनाओं के कारण हर साल लगभग 71, 000 लोग घायल होते हैं, और उनमें से 1,550 लोग मारे जाते हैं. नींद की कमी प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स को प्रभावित करती है, जो तर्क क्षमता के लिए जिम्मेवार है. नींद की कमी व्यवहार और निर्णय, प्रतिक्रिया, याददाश्त क्षमता पर प्रभाव डालती है.
उचित नींद की कमी से ऑक्सीडेटिव तनाव और सूजन हो सकती है जो किसी व्यक्ति की प्रतिरक्षा को कम कर सकती है और लोगों को संक्रमण से ग्रस्त कर सकती है. यानी बीमार कर सकती है.
भूख और परिपूर्णता की भावनाओं को नियंत्रित करने वाले हार्मोन पर प्रभाव के कारण कम नींद से वजन बढ़ता है. यह असामान्य इंसुलिन रिलीज की ओर भी ले जाता है. इससे फैट बढ़ सकता है, शरीर के वजन में बदलाव हो सकता है और टाइप 2 मधुमेह का खतरा बढ़ सकता है.
एक्सपर्ट के अनुसार उचित नींद की कमी से रक्तचाप, शर्करा का स्तर और सूजन बढ़ जाती है, जिससे हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है.
एक्सपर्ट के अनुसार अपर्याप्त नींद हार्मोन उत्पादन को प्रभावित कर सकती है, जिसमें वृद्धि हार्मोन और टेस्टोस्टेरोन का उत्पादन शामिल है. यह शरीर को अतिरिक्त तनाव हार्मोन, जैसे नोरेपीनेफ्राइन और कोर्टिसोल जारी करने का कारण बनता है. यह प्रजनन क्षमता को भी प्रभावित कर सकता है.
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शिफ्ट वाइज काम.
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आसपास शोर या अनुचित तापमान.
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सोने से ठीक पहले इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग करना.
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हेल्थ इश्यू जैसे अवसाद, स्लीप एपनिया, या पुराना दर्द.
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नींद पूरी न होने की समस्या को दूर करने के लिए मुख्य रूप से एक्सपर्ट की सलाह ले सकते हैं. आसपास का वातावरण, घर का माहौल और आपकी जीवनशैली ये सबकुछ अच्छी नींद के लिए खास रूप से जिम्मेवार हैं. अच्छी नींद के लिए ध्यान, मेंटल ट्रेनिंग और सांस संबंधी योग व आराम करने की टेक्निक भी मदद कर सकती हैं. जरूरत पड़ने पर डॉक्टरी परामर्श लेनी चाहिए.
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.