Varanasi/ Lucknow News: सोमवार को अपने दो दिवसीय प्रवास पर आरएसएस के सरसंघ संचालक मोहन भागवत राजधानी पहुंचे. इससे पूर्व रविवार को वे वाराणसी में मौजूद थे् वहां उन्होंने रविवार की देर शाम बीएचयू के स्वतंत्रता भवन सभागार में कुटुम्ब प्रबोधन के परिवार स्नेह मिलन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए.
कुटुम्ब प्रबोधन के परिवार स्नेह मिलन कार्यक्रम में उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा कि विजय और यश हमारा एक पड़ाव हो सकता है. मगर लक्ष्य नहीं है. विजय और यश में खोने की बजाय उसे साधन बनाकर अच्छा समाज बनाएं. नाम और प्रभाव वाले बहुत लोग आते हैं. मगर इससे परिवर्तन कितना हुआ और शांति के साथ देश आगे चले यह देखना होगा.
सरसंघ संचालक मोहन भागवत ने कहा कि समाज में परिवर्तन आत्मीयता और सेवा से ही आता है. समूह में तो पशु पक्षी भी रहते हैं. मगर सबको जोड़ने वाला, सबकी उन्नति करने वाला धर्म कुटुम्ब प्रबोधन है. यह परिवार में संतुलन मर्यादा तथा स्वाभाव को ध्यान में रखकर कर्तव्य का निरूपण करने वाला आनन्दमय सनातन धर्म है. हमारे यहां कुटुम्ब प्रबोधन में ही समानता और बंधुता का भाव निहित है.
उन्होंने कहा कि जड़वादी और भोगवादी विचार के प्रसार से हमारे वैचारिक अधिष्ठान चले गये. हमारे यहां प्रारंभ से ही परिवार का अर्थ समस्त चराचर का अलग-अलग अस्तित्व, अनेक पूजा प्रकार, अनेक पद्धतियां होने के बावजूद सबका मूल एक ही है. कुटुम्ब का कोई संविधान नहीं है, इसका आधार केवल आत्मीयता होता है. अपने समाज में “व्यक्ति बनाम समाज” ऐसा विभाजन नहीं है. उन्होंने सभागार में बैठे स्वयंसेवक परिवारों को सम्बोधित करते हुए आगे कहा कि व्यक्ति की पहचान कुटुम्ब से होती है. जैसा समाज चाहिए वैसा कुटुम्ब होना चाहिए. कुटुम्ब में ही मनुष्य को आचरण सिखाया जाता है. पारिवारिक संस्कार आर्थिक इकाई को भी बल देता है. परिवार में बेरोजगारी की समस्या नहीं हो सकती.
उन्होंने कहा कि संघ पर दो बार प्रतिबंध लगा, मगर कोई भी अपने ध्येय पथ से डिगा नहीं. परिवार की ताकत की वजह से जेल जाने के बाद भी किसी ने माफी नहीं मांगी. उन्होंने कहा, ‘हमारा आचरण, व्यवहार और रहन-सहन में हिंदुत्व का भाव दिखना चाहिए. स्नेह मिलन कार्यक्रम के बाद वे देर रात लखनऊ के लिए प्रस्थान कर गए.’
रिपोर्ट : विपिन सिंह