सॉल्टलेक सेक्टर-5 से फूलबागान तक बहुप्रतीक्षित ईस्ट-वेस्ट मेट्रो सेवा जारी है. अप्रैल में फूलबागान से सियालदह तक सेवा शुरू हो जायेगी. अगले वर्ष यानी जनवरी 2023 से हुगली नदी के नीचे दोहरी सुरंग से भी मेट्रो रेल चलने लगेगी. पूर्व रेलवे व मेट्रो रेलवे के महाप्रबंधक (जीएम) अरुण अरोड़ा ने यह जानकारी दी है.
सीआरएस कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी ने फूलबागान से सियालदह तक मेट्रो लाइन का निरीक्षण कर लिया है. मेट्रो रेल को बस उनकी अनुमति की प्रतीक्षा है. सियालदह तक ईस्ट-वेस्ट मेट्रो शुरू होने से यात्रियों को काफी सुविधा होगी. इससे मेट्रो का राजस्व भी बढ़ेगा. जनवरी 2023 तक मेट्रो रेल गंगा नदी पार करके हावड़ा मैदान तक 16.55 किमी की यात्रा पूरी करने लगेगी.
सीआरएस यानी कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी, ईस्ट-वेस्ट मेट्रो के प्रथम चरण के फूलबागान से सियालदह मेट्रो स्टेशन तक का निरीक्षण कर चुके हैं. मेट्रो रेलवे बांग्ला नववर्ष पोयला बैसाख पर सॉल्टलेक सेक्टर-5 से फूलबागान तक भूमिगत ट्रेन सेवा की सौगात देना चाहता है. सीआरएस की रिपोर्ट मिलते ही फूलबागान से सियालदह तक मेट्रो सेवा शुरू हो जायेगी. उक्त परियोजना के प्रथम चरण में सियालदह सातवां मेट्रो स्टेशन होगा.
यात्रियों को सॉल्टलेकर सेक्टर-5 से सियालदह मेट्रो स्टेशन पहुंचने में मात्र 20 मिनट लगेंगे. कोलकाता मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड की देखरेख में तैयार हो रहे ईस्ट-वेस्ट मेट्रो कॉरिडोर की कुल लंबाई हावड़ा मैदान तक करीब 16 किलोमीटर है. कोलकाता में अन्य मेट्रो परियोजनाओं के बारे में महाप्रबंधक अरुण अरोड़ा ने बताया कि हमारा लक्ष्य कोलकाता व आसपास 100 किमी तक मेट्रो लाइनों का विस्तार करना है.
यदि सब कुछ ठीक रहा, तो इस लक्ष्य को वर्ष 2026 तक हासिल कर लेंगे. यह भी बताया कि जोका-तारातला मेट्रो परियोजना सितंबर 2022 तक, न्यू गरिया-हेमंत मुखर्जी मेट्रो परियोजना अक्तूबर 2022 तक, हेमंत मुखर्जी-सॉल्टलेक सेक्टर पांच मेट्रो परियोजना जुलाई 2023 तक, नोआपाड़ा-विमान बंदर मेट्रो परियोजना जुलाई 2023 तक, तारातला-एस्प्लानेड परियोजना जुलाई 2025 तक, सॉल्टलेक सेक्टर पांच-विमान बंदर मेट्रो परियोजना मार्च 2026 तक और विमान बंदर-न्यू बैरकपुर मेट्रो परियोजना अगस्त 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य है.
ईस्ट-वेस्ट मेट्रो परियोजना के अधीन स्वदेशी कलपुर्जों से बनी भूमिगत रेल पहली बार कोलकाता में हुगली नदी के नीचे बनी दोहरी सुरंग से गुजरने लगेगी. यह अन्य भूमिगत ट्रेनों से काफी तेज यानी 80 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से सुरंगों से दौड़ेगी. सारे एसी रेक भारत सरकार की कोच फैक्टरी बीईएमएल-बेंगलुरू में अत्याधुनिक तकनीक से बन रहे हैं.
बीईएमएल कोच फैक्टरी के साथ ईस्ट-वेस्ट मेट्रो के लिए 900 करोड़ रुपये का करार पहले हुआ था. 14 अत्याधुनिक कोच बनाकर ईस्ट-वेस्ट मेट्रो के लिए दे दिये गये हैं. हावड़ा मैदान तक मेट्रो सेवा शुरू होने के बाद भी बीईएमएल कोच फैक्टरी बेंगलुरु से रेक उपलब्ध कराये जायेंगे. दिव्यांगों के लिए ट्रेन में सवार होने के वास्ते व्हील चेयर होंगे, जिन्हें भूमिगत स्टेशन पर पार्क करने की सुविधा भी होगी.
मेट्रो में होने वाली आत्महत्या की घटनाओं से सबक लेते हुए कोलकाता मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड ऐसी तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है, जिससे यात्री पटरी तक पहुंच ही न पाये. ईस्ट-वेस्ट के सभी स्टेशनों के प्लेटफॉर्मों को पूरी तरह से कवर किया जा रहा है. प्लेटफॉर्म पर ट्रेन के आते ही उसके गेट ठीक स्क्रीन डोर के सामने होंगे.
स्क्रीन डोर से ट्रेन के दरवाजे लगते ही सेंसर अपना काम करना शुरू कर देगा और ट्रेन के दरवाजे अपने आप खुल जायेंगे. बताया गया है कि एक प्लेटफॉर्म पर स्क्रीन डोर लगाने में तीन करोड़ रुपये का खर्च आया है. भूमिगत मेट्रो स्टेशन हावड़ा मैदान, हावड़ा, न्यू महाकरण, एस्प्लानेड, सियालदह, फूलबागान के साथ अन्य सभी प्लेटफॉर्म डोर स्क्रीन लगाये जा रहे हैं.
Posted By: Mithilesh Jha
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