भागलपुर में ब्राउन शुगर के लती बच्चों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. स्मैक के शिकार बड़े घर के बच्चे ज्याद हो रहे है. जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल के मनोविज्ञान विभाग व निजी मनोचिकित्सक के पास रोजाना स्मैक के नशेड़ी अपना इलाज कराने आ रहे हैं. ऐसे भी युवा हैं, जो शुरू में शौक से इसे लिया, अब युवा हैवी डोज लेने लगे है. ऐसे युवा ज्यादातर बड़े घर के होते हैं. परेशानी यह है कि ऐसे युवा इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती होने से परहेज करते हैं.
जेएनएलएमसीएच में मनोरोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ एके भगत कहते हैं कि नशा के आदी युवकों को काउंसेलिंग की जाती है. कुछ युवा तो शौक के लिए ब्राउन शुगर लिया, जो आगे चल कर यह आदत बन गयी. कई मरीज कहते हैं कि शराब मिलना बंद हो गया, तो ब्राउन शुगर को लेने लगे.
सरकारी अस्पताल एवं निजी क्लिनिक में रोजाना आधे दर्जन से ज्यादा इस नशे का शिकार युवा इलाज कराने आते है. इसमें ज्यादातर बड़े घर के लड़के हैं. एक युवक ने बताया कि शराब नहीं मिलने के कारण शुरू में 50 रुपया में पुड़िया लिया. पहले दिन नशा तीन दिन तक रहा. अब इसकी आदत पड़ चुकी है. यहां महंगी कार से युवक इलाज कराने पहुंच रहे हैं. ये युवक अस्पताल में भर्ती नहीं होना चाहते हैं. इस कारण डॉक्टर इनका काउंसेलिंग कर घर भेज देते है़ं डॉक्टर कहते हैं कि दो माह तक बिना रुके दवा खानी होगी.
विभागाध्यक्ष डाॅ एके भगत कहते हैं कि किशोर व युवाओं में यह नशा तेजी से फेल रही है़ कई तो ओवर डोज लेने लगे है़ ऐसे में परिवार के वरीय सदस्यों को चाहिए की अपने घर के किशोर पर ध्यान दे, वो क्या कर रहे हैं, कहां जा रहे हैं, किस तरह का काम कर रहे हैं, इसकी जानकारी रखे.
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जिले में शराब नहीं मिलने पर शराबी ब्राउन शुगर की ओर शिफ्ट हो गये है़ अस्पताल में जो मरीज इलाज कराने आ रहे है उनसे जानकारी ली गयी, तो डॉक्टरों ने यह बताया.डॉक्टर के अनुसार तेजी से शराबी ब्राउन सुगर की ओर शिफ्ट कर रहे है़ वहीं भांग व गांजा समेत अन्य तरह का नशा करने वाले नशेड़ी ब्राउन शुगर की ओर शिफ्ट नहीं कर रहे हैं. जानकारों का कहना है कि इससे मुक्ति के लिए समाज को आगे आना होगा, तभी इस समस्या का निदान होगा.
जिले में ब्राउन शुगर का शिकार युवा सरकारी व निजी क्लिनिक में इलाज कराने आ रहे हैं. इसमें शहर में इलाज करने वाले निजी एवं शहरी चिकित्सक के यहां से मरीजों का आंकड़ा लिया गया. इसमें जनवरी में 45, फरवरी में 42, मार्च में अब तक 35 से ज्यादा मरीज आ चुके है.