पटना. रेरा में बिना निबंधन कराये ही राज्य में 400 रियल इस्टेट प्रोजेक्टों के प्रचार-प्रसार करने का बिहार रियल इस्टेट अपीलेट ट्रिब्यूनल ने स्वत: संज्ञान लिया है. मामले की सुनवाई करते हुए ट्रिब्यूनल ने कहा कि यह दंडनीय अपराध है.उसने ऐसे प्रोजेक्टों की जांच कर कार्रवाई का निर्देश दिया. ट्रिब्यूनल ने पटना के नगर आयुक्त और महानगर प्राधिकरण के कार्यकारी व मुख्य कार्यकारी अधिकारी से भी जवाब मांगा है. उन्हें यह बताने को कहा है कि क्या उनके अधिकार क्षेत्र में भवन योजना के साथ-साथ लेआउट स्वीकृत की गयी है या नहीं? ट्रिब्यूनल ने पटना के एसएसपी को निर्देश दिया है कि वह सुनिश्चित करें कि ये परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं और साइट पर रेरा की पंजीकरण संख्या प्रदर्शित है.
रेरा ट्रिब्यूनल के पास इस तरह की शिकायतें लगातार आ रही थीं कि बिना रेरा निबंधन के ही ऑनलाइन प्लेटफाॅर्म व विभिन्न वेबसाइटों पर रियल इस्टेट प्रोजेक्टों का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है, जबकि नियम के अनुसार, किसी भी प्रोजेक्ट का रेरा में निबंधन कराये बगैर बुकिंग तो दूर, प्रचार-प्रसार तक नहीं किया जा सकता.
बिहार रियल इस्टेट अपीलेट ट्रिब्यूनल को लगातार शिकायत मिल रही थी कि कई रियल इस्टेट कंपनियां अपने प्रोजेक्ट का रेरा में रजिस्ट्रेशन कराये बगैर बुकिंग कर रही हैं. ट्रिब्यूनल ने जब आइटी मैनेजर से इसकी जांच करायी, तो सिर्फ एक चर्चित ऑनलाइन रियल इस्टेट ब्रोकर की साइट पर 400 से अधिक ऐसे प्रोजेक्ट पाये गये, जिनका अब तक रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ था.
रेरा एक्ट के मुताबिक किसी भी प्रोजेक्ट का रेरा में रजिस्ट्रेशन कराये बगैर उसका प्रचार-प्रसार तक नहीं किया जा सकता. ऐसा करने वाले बिल्डर पर प्रोजेक्ट की राशि का 10 फीसदी तक जुर्माना लगाया जा सकता है. बिना रजिस्ट्रेशन वाले प्रोजेक्ट में निवेश करने वाले ग्राहकों की गाढ़ी कमाई भी फंसने की आशंका बनी रहती है.