16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बीरभूम कांड पर बोले बुद्धिजीवी: बर्बर हत्या की निंदा के लिए रैली निकालने का साहस नहीं जुटा पा रहे

रंगमंच से जुड़े रुद्रप्रसाद सेनगुप्ता ने कहा कि बीरभूम जिले में नरसंहार दिखाता है कि कैसे राजनीति ने नागरिक समाज को अपने कब्जे में ले लिया है, क्योंकि इस भीषण घटना के बाद महानगर में कोई विरोध नहीं हुआ, कोई रैली नहीं हुई.

कोलकाता: बीरभूम जिले में हुई हत्याओं पर शहर के जाने-माने बुद्धिजीवी स्‍तब्‍ध हैं, जिसमें आठ लोगों को जिंदा जला दिया गया था. इन बुद्धिजीवियों ने कहा है कि यह घटना समाज में ‘पतन’ को दर्शाती है. सामाजिक-राजनीतिक मुद्दों पर मुखर होने के लिए जानी जाने वाली अपर्णा सेन ने इसे ‘भयावह और बर्बर’ बताते हुए समाज में अपराधीकरण की एक ‘खतरनाक प्रवृत्ति’ की ओर इशारा किया, जो समय के साथ बढ़ी है.

अपर्णा सेन ने कहा कि वह ‘ऐसे अपराधों के खिलाफ अपनी पीड़ा, क्रोध और दर्द’ को अधिक सशक्त और दृश्यमान तरीके से दर्ज नहीं करा सकतीं, क्योंकि वह ‘हाल ही में हुई एक सर्जरी से उबर रही हैं और अपने कमरे तक सीमित हैं.’ अपर्णा सेन नंदीग्राम विरोध प्रदर्शनों के दौरान प्रमुखता से सक्रिय थीं और घृणा अपराधों के खिलाफ भी मुखर हैं.

राजनीति ने नागरिक समाज को अपने कब्जे में ले लिया- रुद्रप्रसाद

रंगमंच से जुड़े रुद्रप्रसाद सेनगुप्ता ने कहा कि बीरभूम जिले में नरसंहार दिखाता है कि कैसे राजनीति ने नागरिक समाज को अपने कब्जे में ले लिया है, क्योंकि इस भीषण घटना के बाद महानगर में कोई विरोध नहीं हुआ, कोई रैली नहीं हुई. उन्होंने कहा, ‘हम बर्बर हत्याओं की निंदा करने के लिए एक रैली निकालने का साहस जुटाने से पहले भी कई बार सोच रहे हैं. हालांकि, हमने अतीत में भारत के बाहर की घटनाओं पर आवाज उठायी थी.’

Also Read: बंगाल सरकार का पुलिस को निर्देश- 10 दिन में अवैध गोला-बारूद से राज्य को मुक्त करें, ओवैसी ने कही ये बात

श्री सेनगुप्ता ने यह भी कहा कि बागटुई की घटना, जिसमें 8 लोगों को जिंदा जला दिया गया था, जो बदला लेने वाली हत्या प्रतीत होती है, यह दर्शाता है कि अपने राजनीतिक आकाओं द्वारा संरक्षित अपराधी कैसे ‘स्थानीय स्तर पर चीजों को तय कर रहे हैं और हमने इसकी आलोचना करने के लिए आवाज खो दी है.’

सो नहीं सके अरिंदम सील

फिल्म निर्देशक अरिंदम सील ने कहा कि वह सो नहीं सके और ‘भयावह घटना’ के बारे में सोचकर दुखी थे. ‘चांदेर पहाड़’ जैसी फिल्मों से प्रसिद्धि पाने वाले एक अन्य फिल्म निर्देशक कमलेश्वर मुखर्जी ने कहा कि वह राज्य में हाल ही में हुई हत्याओं के विरोध में 25 मार्च को उत्तरी कोलकाता में नागरिकों की एक रैली में शामिल होना चाहते हैं. मुखर्जी ने कहा, ‘संगठित विरोध ही ऐसी स्थितियों से बाहर निकलने का एकमात्र तरीका है.’

Also Read: बीरभूम नरसंहार: रामपुरहाट कांड में मृतकों के परिजनों को सरकारी नौकरी, आर्थिक सहायता का ममता ने किया ऐलान

Posted By: Mithilesh Jha

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें