Varanasi News: संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत अपने पांच दिवसीय प्रवास पर बुधवार को काशी पहुंचे. विश्व संवाद केंद्र में कुछ देर विश्राम करने के बाद वे गाजीपुर जखनिया स्थित सिद्धपीठ हथियाराम मठ गए. जहां दर्शन- पूजन के पश्चात महामंडलेश्वर महंत भवानी नन्दन यति महाराज के पीठासीन होने के 25 वर्ष पूरा होने के अवसर पर आयोजित संगोष्ठी को सम्बोधित करने के बाद वापस वाराणासी पहुँचे. वह गुरुवार को दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती में भी शामिल होंगे. इसके पश्चात काशी विश्वनाथ जी के दर्शन- पूजन के लिए जाएंगे. वाराणसी में पांच दिवसीय प्रवास के दौरान डॉ. भागवत संगठनात्मक बैठक, कुटुंब प्रबोधन, सामाजिक समरसता और पर्यावरण जैसे विषयों पर चर्चा करेंगे.
गाजीपुर से बनारस आये डॉ. भागवत ने बुधवार रात को लंका, बीएचयू के संघ कार्यकर्ता और ज्ञान प्रवाह के लोगो के साथ एक अनौपचारिक बैठक की. डॉ भागवत 25 व 26 मार्च को संघ प्रचारकों, बौद्धिक शिक्षण प्रमुख, प्रान्त व्यवस्थापको, प्रान्त सम्पर्क प्रमुख, प्रान्त सेवा प्रमुख आदि के साथ बैठक करेंगे. 27 मार्च को काशी हिंदू विश्वविद्यालय के स्वतंत्रता सभागार में आयोजित कुटुंब स्नेह मिलन समारोह में आयोजित समारोह में शामिल होने के बाद लखनऊ प्रस्थान करंगे.
हथियाराम मठ में संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए डॉ भागवत ने कहा कि यह सिद्धपीठ मठ है । जहां माँ सिद्धिदात्री और बुढ़िया माई की कृपा बरसती है। मठ आने के लिए मौके का इंतजार था. इसके लिए उन्होंने आरएसएस के पदाधिकारियों से मठ का इतिहास पता किया जो गौरवांवित करने वाला था. इस धरती पर आना मेरे लिए भी सौभाग्य की बात है। उन्होंने भारत देश की विशालता पर चर्चा करते हुए कहा कि भारत बहुत बड़ा है. इसके बड़ा होने की वजह यहां के लोग ही हैं. आगे कहा कि धर्म के केंद्र पर आने से बैटरी चार्ज हो जाता है. इसलिए ऐसे केंद्रों पर आते रहना चाहिए. विन्सटन चर्चिल का जिक्र कर संघ प्रमुख ने कहा कि जब वे ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बने थे तो वहां की जनता ने उन्हें शेर कहा था. जिस पर चर्चिल ने जनता को कहा था कि असली शेर तो आप हैं, आप की ऊर्जा से हम दहाड़ते हैं.