पटना. उर्दू टीइटी अभ्यर्थियों ने बुधवार को राजभवन मार्च निकाला. रिजल्ट जारी करने की मांग को लेकर साइंस कॉलेज से राजभवन मार्च को निकले अभ्यर्थियों पर पुलिस ने जमकर लाठियां बरसायी. लाठीचार्ज में करीब दो बजे के बाद पुलिस ने अभ्यर्थियों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा. इससे कारगिल चौक पर एक घंटे से अधिक तक अफरा-तफरी मची रही. कई घंटों तक गांधी मैदान के इलाकों में जाम की स्थिति बनी रही.
पुलिसिया कार्रवाई में दो दर्जन से अधिक अभ्यर्थी घायल हुए हैं, जिसमें छह लोग बुरी तरह से चोटिल हुए हैं. इनमें से चार लोगों का हाथ और दो लोगों का पैर टूट गया है. घायलों का इलाज अलग-अलग सरकारी और निजी अस्पताल में चल रहा है. मार्च में शामिल कई लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार करके गांधी मैदान थाना ले गयी, जिन्हें देर शाम को शपथ पत्र भरवा कर छोड़ दिया गया.
संघ के प्रदेश अध्यक्ष मुफ्ति हसन रजा अमजदी ने कहा कि लाया सात सालों से आंदोलनरत उर्दू बांग्ला टीइटी उम्मीदवार लगातार बिहार सरकार से रिजल्ट जारी करने की मांग कर रहे हैं. रिजल्ट जारी करने की मांग को लेकर पूरे बिहार में रैली धरना प्रदर्शन चल रहा है. बिहार बोर्ड की गलती की वजह से पास 12000 उर्दू बांग्ला टीइटी उम्मीदवारों को मेरिट लिस्ट में नाम आने के बाद फेल कर दिया गया. सरकार ने मुस्लिम समझकर उम्मीदवारों को फेल किया है. इससे साफ समझ में आता है कि मुस्लिम और उर्दू से सरकार की कितनी नफरत है.
उम्मीदवार सात सालों से सिर्फ आश्वासन पर जी रहे हैं. दर्जनों बार मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री आश्वासन दे चुके हैं, जबकि बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सरकारी वकील से तीन साल पहले ही ओपिनियन मंगवा लिया जो उम्मीदवारों के पक्ष में आया था. ओपिनियन के आधार पर ही सरकार को रिजल्ट जारी करना चाहिए उसके बाद शिक्षा विभाग के डायरेक्टर का पांच परसेंट कट ऑफ मार्क्स कम करके रिजल्ट जारी करने का लेटर निकला. मुफ्ति हसन रजा अमजदी ने कहा कि इतना होने के बाद भी रिजल्ट पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.
उम्मीदवार इंसाफ के इंतजार में मौत को गले लगा रहे हैं. फांसी और डिप्रेशन से बहुत सारे उम्मीदवारों की मौत हो चुकी है, जबकि जनरल टीइटी उम्मीदवारों को सरकार ने 50 और 45 प्रतिशत पर पास किया है तो फिर उर्दू टीइटी उम्मीदवारों को क्यों नहीं? यह उर्दू उम्मीदवारों के साथ कितना बड़ा भेदभाव है. पूरे हिंदुस्तान में रिजल्ट दे कर मेरिट लिस्ट में नाम आने के बाद कहीं फेल नहीं किया गया. इंसाफ देने और रिजल्ट जारी करने के लिए सरकार के पास बहुत सारे रास्ते हैं.
अमजदी ने यह भी कहा कि कट ऑफ मार्क्स कम करना यह कोई नया तरीका नहीं है. खुद बिहार सरकार ने जनरल टीइटी में 10 प्रतिशत छूट दिया है. राजस्थान, त्रिपुरा, सिक्किम, झारखंड, उड़ीसा, बंगाल, दिल्ली, कोलकाता, हरियाणा व पंजाब जैसे अन्य राज्यों में प्रतिशत कम किया गया है. उर्दू टीइटी उम्मीदवारों से इतनी नफरत सरकार क्यों कर रही है. इसका जवाब सरकार को देना चाहिए.