ज़ी 5 की हालिया रिलीज वेब सीरीज ब्लडी ब्रदर्स में इनदिनों अभिनेता जीशान अय्यूब नज़र आ रहे हैं. अपनी सोच और बातों को बेबाकी और सच्चाई से रखने वाले जीशान अपने अभिनय में भी वही सच्चाई लाना चाहते हैं.उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश…
ब्लडी ब्रदर्स में आपको क्या अपील कर गया था
मुझे बताया गया कि यह सीरीज एक एडेप्टेशन है. कहानी बहुत ही मजेदार लगी क्योंकि उसमें बहुत सारे ट्विस्ट एंड टर्न थे.जब आपको लगने लगता है कि आप कहानी समझ गए कहानी में एक नया ट्विस्ट ले लेती है. डार्क कॉमेडी की सिचुएशन बहुत ही अलग है. जब मालूम पड़ा कि बड़ा भाई जयदीप करने वाला है तो लगा कि और मज़ा आएगा.
जयदीप और आप दोनों ही मंझे हुए कलाकार हैं क्या सेट पर कभी कॉम्पिटिशन की भी बात आती थी
बिल्कुल भी नहीं,दूर दूर तक नहीं.एक दूसरे को कॉम्पलिमेंट करने वाला ज़्यादा रिश्ता है. जब अच्छा एक्टर होता है तो आपकी परफॉरमेंस भी बेहतर होती है क्योंकि आखिरकार एक्टिंग रिएक्शन के बारे में है.
जयदीप औऱ आपके साथ बॉन्डिंग कैसी रही है
हमने लगभग एक साथ ही शुरू किया. यह 2010-2011 की बात है.वो भी बॉम्बे में आकर काम शुरू कर रहा था.शुरू में बात होती थी अरे हां वहां ऑडिशन में शार्ट लिस्ट हुए हैं. शायद काम मिल जाए.तब वो वाला डिशक्शन होता था अब ये होता है कि ये किरदार है कुछ अलग प्ले करने की कोशिश करता हूं. अलग लुक बनाने की सोच रहा हूं. इस सीरीज के दौरान हमने एक डेढ़ महीना और साथ बिताने का मौका दिया उसने हमें और ज़्यादा पक्का.
क्या आपने स्कॉटलैंड वाली सीरीज को देखी थी
जब आप ओरिजिनल देखते हैं तो आपका आईडिया अफेक्ट करता है.जब कोई आपको लेकर उसी कहानी को अलग तरीके से करना चाहता है तो आप चाहते हैं कि एक्टर के तौर पर आपका अप्रोच भी अलग हो. मैं साफ दिमाग से एक किरदार को अप्रोच करता हूं. हिंदुस्तान में अलग मेंटेलिटी है और स्कॉटलैंड में अलग.वहां भाइयों के रिश्ते थोड़े अलग तरह से होते हैं.हमारे अलग तरह से होते हैं.
इस सीरीज में आप मुश्किल सिचुएशन में भी बहुत ही लाइट अप्रोच रखते हैं निजी जिंदगी में आपका क्या फलसफा है
निजी ज़िन्दगी में भी मेरा अप्रोच ह्यूमर वाला ही है,लेकिन दलजीत वाला नहीं. दलजीत ज़्यादा बचपने से करता है.मैं उतना बचपने से नहीं करता हूं.
ओटीटी के आने के बाद एक्टर्स बहुत ज़्यादा काम कर रहे हैं लेकिन आप अभी भी बहुत कम काम कर रहे हैं
मैं हमेशा से ऐसा ही रहा हूं.साल में दो प्रोजेक्ट्स ही करता हूं ज़्यादा से ज़्यादा तीन उससे ज़्यादा तो बिल्कुल भी नहीं.वो आगे पीछे रिलीज हो जाता है तो ऐसा लगता है.मैं कम ही काम करना पसंद करता हूं.पागलों की तरह पैसा बना लूं या हर जगह मैं ही दिखूं ऐसी मेरी सोच नहीं है. मेरी सोच ये है कि मैं जितना ज्यादा किरदार करता जाऊं.उतना ज्यादा उन किरदारों की मुझमें समझदारी एड होती जाए.मुझे हर प्रोजेक्ट में कुछ सीखने को मिलना चाहिए.
दलजीत का किरदार आपको क्या सीखा गया
ये किरदार जितनी मासूमियत और खुलकर चीजों पर रिएक्ट करता है.वो जो है ना शहरी ज़िन्दगी में जब आप काम करते हो और आपकी उम्र बढ़ती जाती है तो वो खोने लगता है तो वो दुबारा मिला कि आप खुलकर अपनी बात बोलिए.ज़िन्दगी में ज़्यादा फ़िल्टर लगाने की ज़रूरत नहीं है.
ओटीटी के फायदे और नुकसान आपको क्या लगते हैं
ओटीटी के आने से बहुत फायदा हुआ है.आप अपने काम पर ध्यान दे सकते हैं. डिस्ट्रुब्यूटर्स ,कितने स्क्रीन पर रिलीज हो रही है.ये सब बातें प्रभावित नहीं करती हैं.मार्केट का प्रेशर नहीं है.कोई ज़रूरी नहीं कि आज आपका शो पिक नहीं हुआ ओटीटी में छह महीने बाद भी उसके पिक होने की गुंजाइश रहती है. इसके साथ ही मैं ये भी कहूंगा कि ओटीटी में सबकुछ बहुत खूबसूरत नहीं है.बहुत कुछ एक जैसा भी है. चोर पुलिस की कहानी बना रहे हैं या ऐसे इलाके की कहानी जहां क्राइम अलग ढंग से किया जा रहा है. कुलमिलाकर ओटीटी अभी वो बच्चा है.जिसके अभी दूध के दांत आने लगे हैं.अभी लंबा सफर तय करना है और थिएटर को रिप्लेस कर लेगा.वो बात भी कम ही संभव है.
आपने थिएटर जाना शुरू किया ,कौन सी फ़िल्म जो हाल ही में देखी
हां जाना शुरू हुआ है लेकिन 83 की लास्ट देख पाया हूं.