पटना. बिहार के विरासत भवनों व प्रक्षेत्रों की प्रकृति में किसी भी तरह का बदलाव अब राज्य स्तर पर गठित विरासत संरक्षण समिति की अनुशंसा के बगैर नहीं होगा. नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव की अध्यक्षता में गठित होने वाली इस समिति की अनुशंसा पर ही नगर निकाय बदलाव की अनुमति दे सकेंगे. इसको लेकर राज्य सरकार ने संशोधित बिल्डिंग बाइलॉज 2022 में विशेष प्रावधान किया है.
बाइलॉज के मुताबिक विरासत भवनों, विरासत क्षेत्रों, प्राकृतिक सौंदर्य क्षेत्रों व विरासत स्थलों की सूची नगर निगम के आयुक्त व आयोजना प्राधिकार के सीइओ द्वारा विरासत संरक्षण समिति के परामर्श से तैयार की जायेगी. अंतिम रूप दिये जाने से पहले इस पर आम जनों की आपत्तियां और सुझाव भी ली जायेंगी. समिति में अध्यक्ष व सरकारी विभाग के सदस्यों को छोड़ कर शेष का कार्यकाल तीन वर्षों का होगा.
सूचीबद्ध विरासत को महत्व के अनुसार तीन श्रेणियों में बांटा जायेगा. पहली श्रेणी में वैसे भवन-क्षेत्र होंगे, जो वास्तु संबंधित स्टाइल, डिजाइन प्रौद्योगिकी और सौंदर्यबोध में उत्कृष्टता का प्रतीक हो. यह किसी महान ऐतिहासिक घटनाओं, व्यक्तित्व, आंदोलन या संस्था से संबंधित हो सकते हैं. सभी प्राकृतिक स्थल पहली श्रेणी में आयेंगे.
दूसरी श्रेणी में विशेष वास्तु संबंधी, सौंदर्य गुण या सांस्कृतिक-ऐतिहासिक महत्व के क्षेत्र रहेंगे. यह स्थानीय लैंडमार्क क्षेत्र को पहचान देते हों. तीसरी श्रेणी में वैसी विरासत को रखा जायेगा जो दूसरी श्रेणी की तुलना में अधिक स्थानीयता के चरित्र को अवधारित करने में योगदान रखते हों. यह किसी विशिष्ट सामुदायिकता क्षेत्र की जीवन शैली का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं.
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प्रधान सचिव, नगर विकास एवं आवास विभाग – अध्यक्ष
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चीफ टाउन प्लानर, शहरी एवं क्षेत्रीय निवेश संगठन – सदस्य सचिव
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मुख्य वास्तुविद, भवन निर्माण विभाग – सदस्य
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10 वर्ष का अनुभव रखने वाले स्ट्रक्चरल इंजीनियर – सदस्य
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10 वर्ष का अनुभव रखने वाले वास्तुविद – सदस्य
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10 वर्ष का अनुभव रखने वाले अर्बन डिजाइनर – सदस्य
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10 वर्ष का अनुभव रखने वाले कंजर्वेशन आर्किटेक्ट – सदस्य
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10 वर्ष का अनुभव रखने वाले पर्यावरण विशेषज्ञ – सदस्य
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10 वर्ष का अनुभव रखने वाले इतिहासकार – सदस्य
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10 वर्ष का अनुभव रखने वाले प्रकृति इतिहासकार – सदस्य
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चीफ टाउन प्लानर, नगर निगम – सदस्य
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चीफ टाउन प्लानर, आयोजना प्राधिकार – सदस्य
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मुख्य वास्तुविद, आयोजना प्राधिकार – सदस्य
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राज्य पुरातत्वविद् विभाग का प्रतिनिधि – सदस्य